बाड़मेर, 17 जून। प्रदेश में ओरण गोचर भूमि का चिन्हीकरण कर उनका संरक्षण करने का कार्य राजस्व विभाग द्वारा किया जायेगा। राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने इस संबंध में गुरुवार को मंत्रालय भवन में अपने कार्यालय में राजस्व विभाग के अधिकारियों की बैठक में निर्देश दिये।
बैठक में राजस्व मंत्री ने कहा कि सदियों पहले से हमारे यहां गांवों में ओरण के रूप में विकास का परम्परागत टिकाऊ मॉडल था, जो यहां की संस्कृति, रीति नीति पर आधारित था। लेकिन कुछ कारणवश ध्यान नहीं दिये जाने से ओरण-गोचर जमीन बंजर हो रही है। इस जमीन का उपयोग होने से पलायन रूकेगा, आजीविका के अवसर मिलेगें, बहु जैव विविधता का संरक्षण होगा, अकाल-सूखे के प्रभाव को कम करेगा। उन्होंने कहा कि ओरण भूमियों के संबंध में कई समस्याओं व सुझावों के संबंध मंे प्रदेश के पर्यावरणविदों एवं इस क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगोें द्वारा अवगत करवाया गया है।
राजस्व मंत्री ने विभागीय अधिकारियों को राजस्व नियमों में ओरण भूमियों को स्पष्ट परिभाषित करने, कार्ययोजना बनाकर प्रदेश की ओरण भूमियों का सर्वे करवाकर उनका सीमांकन करने के साथ ही उन्हें ओरण भूमियों के रूप में राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करने का कार्य किये जाने की बात कही। बैठक में ओरण भूमियों की सुरक्षा एंव अतिक्रमण से बचाने के लिए ग्राम स्तर से लेकर विभागीय स्तर पर समन्वय स्थापित कर कार्य करने के संबंध में भी चर्चा की गई।
राजस्व विभाग के प्रमुख शासन सचिव आनन्द कुमार ने कहा कि राजस्थान उपनिवेशन अधिनियम 1954, राजस्थान काश्तकारी अधिनियम 1955 एवं राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम 1956 के विद्यमान प्रावधानों में सरलीकरण एवं आवश्यक संशोधन की प्रक्रिया में ओरण भूमियों को स्पष्ट परिभाषित करने का प्रावधान करवाया जायेगा। बैठक मंे राजस्व विभाग के संयुक्त शासन सचिव, उप सचिव एवं अन्य विभागीय अधिकारियों मौजूद थे।
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