सीमांत क्षेत्र विकास कार्यक्रम मंे वर्ष 2018-19 मंे 4128.71 लाख का प्रावधान
बाड़मेर, 28 जून। सीमांत क्षेत्र विकास कार्यक्रम से सरहदी इलाकांे
मंे विकास का सपना साकार होने लगा है। बड़े पैमाने पर हुए विकास कार्याें की बदौलत ग्रामीणांे
के जीवन मंे आमूलचूल परिवर्तन आया है। बाड़मेर जिले के लिए वित्तीय वर्ष 2018-19 मंे बीएडीपी मंे 4128.71 लाख रूपए का प्रावधान किया गया है।
सीमांत क्षेत्र विकास
कार्यक्रम के तहत बाड़मेर जिले के सरहदी गांवांे के विद्यालयांे मंे कक्षा कक्ष, स्वास्थ्य केन्द्रांे, विद्युत सब स्टेशन, जलापूर्ति एवं सड़क सुविधा के कार्य कराए गए है। इस वित्तीय वर्ष मंे बाड़मेर जिले
से प्रथम वरीयता मंे 5705.62 लाख की लागत के 351 कार्य एवं द्वितीय वरीयता मंे 2762 लाख के 63 कार्याें के प्रस्ताव
राज्य स्तर पर भिजवाए गए है। इससे पहले जिला स्तर पर वार्षिक कार्य योजना का अनुमोदन
किया गया। जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एम.एल.नेहरा के मुताबिक वर्ष 2018-19 मंे अब तक 223.32 लाख रूपए व्यय हुए है।
मौजूदा समय मंे 282 कार्य प्रगतिरत है।
सीमा चौकियांे तक सड़कांे का निर्माणः सीमांत क्षेत्र विकास कार्यक्रम
के तहत भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित सीमा सुरक्षा बल की सीमा चौकियांे तक
सड़कांे का निर्माण कराया गया है। इससे जहां सुरक्षा व्यवस्था मजबूत हुई है, वहीं सरहदी इलाकांे मंे आवागमन सुविधा सुगम हुई है।
सीमा सुरक्षा बल के जवानांे के साथ ग्रामीणांे को इससे खासी राहत मिली है।
आधारभूत सुविधाआंे का विकासः सरहदी इलाकांे मंे वृहद स्तर पर
शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, विद्युत एवं सड़क सुविधा
से जुड़े कार्य होने से आधारभूत सुविधाआंे का विकास हुआ है। इससे आमजन को राहत मिली
है।
सीमा दर्शन के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदानः सीमांत क्षेत्र विकास
कार्यक्रम के तहत अनूठी पहल करते हुए डूंगरपुर,बांसवाड़ा समेत 10 जिलांे के 200 बच्चांे को सीमा दर्शन
के साथ सांस्कृतिक विरासत को आदान-प्रदान करने का मौका मिला। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम
के दौरान स्कूली बच्चांे ने सीमा चौकियांे,
अंतरराष्ट्रीय रेलवे स्टेशन के साथ बीएसएफ के जवानांे से सुरक्षा संबंधित जानकारी
ली। उन्हांेने ग्रामीण इलाकांे मंे रहकर स्थानीय कला एवं संस्कृति के बारे मंे विस्तार
से जाना।
गंाव मंे पहुंचने लगे
वाहन, विद्यार्थियांे को मिली
सुविधाः सीमांत क्षेत्र विकास कार्यक्रम के तहत राजकीय माध्यमिक विद्यालय दीपला मंे
10 लाख की लागत से अतिरिक्त कक्षा कक्ष का निर्माण होने
से अध्ययनरत 450 विद्यार्थियांे के लिए
बैठने की सहुलियत हो गई है। इससे पहले एक ही कमरे मंे दो कक्षाआंे के विद्यार्थियों
को बिठाना पड़ रहा था। इसी तरह 97 लाख की लागत से गौहड़
का तला से भूरोमल की ढाणी तक डामर सड़क का निर्माण होने से ग्रामीणों को सड़क की सुविधा
उपलब्ध हो गई है। सरहदी इलाके मंे डामर सड़क बनने से सुरक्षा व्यवस्था मजबूत हुई है।