सोमवार, 19 सितंबर 2022

‘पालनहार पखवाड़ा’ अभियान प्रारम्भ

बाड़मेर, 19 सितम्बर। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, बाड़मेर द्वारा सोमवार 19 सितम्बर से 4 अक्टूबर तक ‘पालनहार पखवाड़ा’ अभियान चलाया जाएगा।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, बाड़मेर के सहायक निदेशक पुखराज सारण ने बताया कि जिला कलक्टर महोदय के निर्देशानुसार सोमवार 19 सितम्बर से 4 अक्टूबर तक ‘पालनहार पखवाड़ा’ अभियान चलाया जाएगा। जिसके अंतर्गत शिक्षा विभाग, सांख्यिकी विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग के सहयोग से पालनहार लाभार्थियों को शत् प्रतिशत वार्षिक नवीनीकरण करवाया जाना है। पालनहार योजना राज्य सरकार महत्त्वपूर्ण फ्लैगशिप योजना है जिसके अंतर्गत जिले में 25233 बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं। नवीनीकरण/सत्यापन के अभाव में पालनहार लाभार्थियों के लाभ की राशि रुक जाएगी। पालनहार योजना संचालन नियम, 2022 के अनुसार शैक्षणिक सत्र में सत्यापन नहीं करवाने पर आवेदन स्वतः ही निरस्त हो जाएगा। अतः सभी पालनहार शैक्षणिक सत्र में अध्ययनरत् होने का प्रमाण पत्र नजदीकी ई-मित्र से अपलोड करवाकर नवीनीकरण करवाया जाना सुनिश्चित करें।
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बाड़मेर के पाटोदी में दो दिवसीय जूती और कशीदाकारी उत्सव ने कराया परंपरागत कलात्मक हुनर का दिग्दर्शन

बाड़मेर, 19 सितम्बर। यूनेस्को एवं राजस्थान पर्यटन के संयुक्त तत्वावधान में जोधपुर संभाग के बाड़मेर जिले के पाटोदी गांव में आयोजित दो दिवसीय जूती एवं कशीदाकारी उत्सव रविवार रात सम्पन्न हो गया।

यूनेस्को के फील्ड पार्टनर श्री सिद्धान्जन राय चौधरी ने यहां बताया कि उत्सव ने इन विरासती कलाओं के लिए प्रसिद्ध पाटोदी के परंपरागत जूती एवं कशीदाकारी से जुड़ी विलक्षण परंपराओं, इतिहास तथा इस हुनर के विभिन्न रंगों से जिज्ञासुआंे को साक्षात कराने के साथ ही हस्तकलाओं में निष्णात महिला एवं पुरुष कलाकारों के हाथों व्यवहारिक प्रशिक्षण पाकर जिज्ञासु बेहद अभिभूत हो उठे। उत्सव की आशातीत सफलता ने स्थानीय कलाकारों को भी खुश कर दिया।
पर्यटन विभाग जोधपुर के उप निदेशक भानुप्रतापसिंह एवं एफएचटीआर, जयपुर से तरुण बंसल सहित विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने इस उत्सव को देखा तथा सराहा। ढाई हजार से अधिक आगंतुकों ने इस उत्सव को देखा, जिनमें क्षेत्र के आस-पास के ग्रामीण भी शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि ख़ासकर महिलाओं में जूती एवं कशीदाकारी कला से संबंधित सामग्री के निर्माण और इनसे संबंधित तकनीकी जानकारी पाने की होड रही। जोधपुर की हस्तशिल्पी हर्षिता राठौड़ की हस्तशिल्प सामग्री ने भी खूब आकर्षित किया। रात्रिकालीन सांस्कृतिक कार्यक्रम में पश्चिमी राजस्थान के पारंपरिक लोक नृत्यों का आनंद लिया।
उल्लेखनीय है कि इस उत्सव में आए लोगों ने क्षेत्र की पारंपरिक संस्कृति, रीति-रिवाजों, रहन-सहन को सीधे स्थानीय परिवेश से जुड़कर देखा और समझा। विरासत की शिक्षा और परंपरागत हुनर में रुचि रखने वाले जिज्ञासुओं ने जूती बनाने और कशीदाकारी की जटिलताओं को जानने, सीखने का मौका पाकर खुशी जाहिर की।
श्री चौधरी ने बताया कि इसके साथ ही जूती बनाने और कशीदाकारी करने का इतिहास, प्रक्रिया और इस कला के जीवित रखते हुए इसके संरक्षण और आधुनिक मांग के अनुरूप सामग्री निर्माण के प्रयासों के बारे में स्वयं हस्तशिल्पियों से जानने के अवसर का लाभ उठाया। शिल्पकारों के हाथों तैयार की गई विभिन्न प्रकार की अनेक प्रकार की वस्तुओं को सीधे ही खरीदने का मौका पाकर लोग खुश हो उठे।
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