मंगलवार, 19 सितंबर 2017

मतदान केन्द्रांे के युक्तिकरण के संबंध मंे बैठक बुधवार को

बाड़मेर,19 सितंबर। विधानसभा क्षेत्रांे के मतदान केन्द्रांे के युक्तिकरण के प्रस्तावांे पर विचार-विमर्श के लिए बुधवार को जिला निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय मंे सांय 5.30 बजे बैठक रखी गई है।
अतिरिक्त जिला निर्वाचन अधिकारी ओ.पी.बिश्नोई ने बताया कि निर्वाचन विभाग के निर्देशानुसार विधानसभा क्षेत्रांे के मतदान केन्द्रांे के युक्तिकरण के प्रस्तावों पर विचार-विमर्श किया जाना है। इस बैठक मंे राजस्व राज्य मंत्री, सांसद, विधायकगण के साथ राजनीतिक दलांे के अध्यक्ष एवं सचिव को आमंत्रित किया गया है।

मुख्य सचिव ने की विशेष योग्यजन अभियान के दूसरे चरण की तैयारियों की समीक्षा

शहरी क्षेत्र के दिव्यांगजनों के पंजीयन के लिए विशेष प्रयास करने के निर्देश
बाड़मेर, 19 सितंबर। मुख्य सचिव अशोक जैन ने मंगलवार को शासन सचिवालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पंडित दीन दयाल उपाध्याय विशेष योग्यजन अभियान की समीक्षा करते हुए 27 सितम्बर, 2017 से प्रत्येक विधानसभा स्तर पर निःशक्त प्रमाण पत्र बनाने के लिए लगाए जाने वाले शिविरों की तैयारियों के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिये। 
उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में विशेष योग्यजनों के पंजीयन की स्थिति ठीक है लेकिन शहरी क्षेत्र में दिव्यांगों के पंजीयन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए विभिन्न विभागों के आपसी सहयोग से विशेष प्रयास करें। मुख्य सचिव ने कुछ जिलों में विशेष योग्यजनों के पंजीयन की स्थिति ठीक नहीं होने पर गहरी नाराजगी जताते हुए संबंधित जिला कलक्टरों को इसमें लापरवाही नहीं किसे जाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि प्रदेश में भारत सरकार के निर्देशानुसार अब 21 श्रेणी के विशेष योग्यजन की पहचान कर पंजीयन करना है। जैन ने कहा कि पंजीयन किये गये सभी दिव्यांगों को पहचान कर ऑनलाईन निःशक्त प्रमाण पत्र जारी करने के साथ साथ यूनिक आई डी दी जायेगी। उन्होेंने चिकित्सा विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि विभिन्न श्रेणी के दिव्यांगों की पहचान के लिए जिला कलक्टरों से समन्वय स्थापित कर चिकित्सा विशेषज्ञों की टीम लगायें। उन्होंनेे जिला कलक्टरों को कहा कि 27 से 12 दिसम्बर, 2017 तक दूसरे चरण के तहत लगाये जाने वाले शिविरों में पंजीकृत शत प्रतिशत दिव्यांगों की उपस्थिति सुनिश्चित की जाये।  सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव  जे.सी.महान्ति ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि प्रदेश में अब तक 6.74 लाख विशेष योग्यजनों का पंजीयन किया जा चुका है। कई जिलों ने अच्छा प्रयास किया है लेकिन जिन जिलों में लक्ष्य से कम प्रगति है उन्हें और गम्भीर प्रयास करने की जरूरत है। महान्ति ने बताया कि देश में राजस्थान पहला राज्य है जिसमें दिव्यांगजनों की पहचान कर पंजीयन किया जा रहा है इससे दिव्यांगजनों का डाटा बेस तैयार होगा जिससे कई वर्षों तक दिव्यांगजनों को विभिन्न योजनाओं का लाभ दे सकेंगे। उन्होंने कहा कि दिव्यांगजनों के प्रति हमें संवेदनशीलता से काम करने की आवश्यकता है। उन्हें सहानुभूति के स्थान पर सम्मानजनक स्थिति का माहौल पैदा करना हमारी प्राथमिकता होना चाहिये। इस अवसर पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीमती वीनू गुप्ता ने बताया कि दिव्यांगजनों को पहचान कर निःशक्तता प्रमाण पत्र व अन्य चिकित्सा सुविधायें देने के लिए संयुक्त निदेशकों एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिये जा चुके हैं, जो जिला कलक्टरों के आपसी समन्वय से शिविरों में चिकित्सा एवं विशेषज्ञों की व्यवस्था करेेंगे।
इस अवसर पर विशेष योग्यजन निदेशक डॉ. समित शर्मा ने अभियान के दौरान दिव्यांगजनों के पंजीयन की स्थिति की जानकारी देते हुए शिक्षा विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि प्रदेश के समस्त सरकारी एवं निजी विद्यालयों में अध्ययनरत सभी दिव्यांग बच्चों का पंजीयन ऑनलाइन करायें। उन्होंने 27 सितम्बर, 2017 को दूसरे चरण के तहत प्रदेश के सभी विधानसभा क्षेत्रों में लगाये जाने वाले शिविर स्थलों पर दिव्यांगजनों के पंजीयन के साथ भामाशाह, आधार कार्ड आदि बनाने की सभी व्यवस्था सुनिश्चित कराने के लिए जिला कलक्टरों को आवश्यक तैयारियाँ करने के निर्देश दिये। बैठक में चिकित्सा शिक्षा के प्रमुख शासन सचिव आनन्द कुमार, पंचायती राज विभाग के शासन सचिव नवीन महाजन, महिला एवं बाल विकास विभाग की सचिव श्रीमती रोली सिंह, शिक्षा विभाग के विशिष्ठ शासन सचिव अशफाक हुसैन, विशेष योग्जन के अतिरिक्त निदेशक अमिताभ कौशिक उपस्थित थे।

काश्मीर के उचित मूल्य दुकानदार के खिलाफ मामला दर्ज कराया

बाड़मेर, 19 सितंबर। ग्राम सेवा सहकारी समिति काश्मीर की ओर से संचालित उचित मूल्य दुकान की जांच में अनियमितता पाए जाने पर उसके खिलाफ शिव पुलिस स्टेशन मंे मामला दर्ज कराया गया।
जिला रसद अधिकारी अशोक सांगवा ने बताया कि काश्मीर मंे संचालित उचित मूल्य की जांच के दौरान खाद्यान्न एवं केरोसीन वितरण मंे डीलर की ओर से गंभीर अनियमितता करने एवं राजकीय आदेश की पालना नहीं करने पर उचित मूल्य दुकान का प्राधिकार पत्र निरस्त किया गया। साथ ही ग्राम सेवा सहकारी समिति लिमिटेड काश्मीर के व्यवस्थापक मूलाराम के खिलाफ शिव पुलिस स्टेशन मंे मामला दर्ज कराया गया है।

बाल-वाहिनियों के संचालन के संबंध में दिशा निर्देश जारी

बाड़मेर, 19 सितंबर। राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एवं राजस्थान राज्य विविध सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष के.एस. झवेरी ने बच्चों के कल्याण को सर्वोपरि विषय मानते हुए बाल-वाहिनियों के संचालन के संबंध में दिशा निर्देश जारी किए है। 
दिशा-निर्देशों के अनुसार जो भी वाहन बस, मिनी बस, वैन ऑटो एवं रिक्शा बाल-वाहिनी के रुप में उपयोग में लाया जाए, वह वाहन पीले रंग से रंगा हुआ हो ताकि दूर से ही देखकर यह पहचाना जा सके कि वह वाहन बाल-वाहिनी के रूप में उपयोग में आ रहा है। बाल-वाहिनी के ऊपर स्पष्ट रुप से यह अंकित हो कि वह वाहन बाल-वाहिनी के रूप में परिवहन कर रहा है यथा बाल-वाहिनी पर ऑन स्कूल ड्यूटी अंकित किया जा सकता है। बाल-वाहिनी के पीछे वाले हिस्से पर संबंधित विद्यालय का नाम, दूरभाष नंबर, पता एवं वाहन चालक तथा परिचालक का नाम अंकित होना चाहिए।  बस बाल-वाहिनी पर होरिजॉन्टल रुप से लोहे का पाईप लगा हो तथा ऑटो, वैन,मैजिक में दरवाजों पर गेट पर लॉक होना चाहिए तथा ऑटो के ड्राईवर वाली साइड वह पीछे ऐसी ग्रिल होनी चाहिए, ताकि कोई बालक नीचे नहीं गिर सके। निर्देशांे के अनुसार बस बाल-वाहिनी पर गेट होना चाहिए और जब वह बस सड़क पर संचालित हो तो उसका गेट आवश्यक रूप से बंद होना चाहिए। बाल-वाहिनी की स्पीड अधिकतम 40 किलोमीटर प्रति घंटे की होनी चाहिए। बस,मिनी बस, वैन बाल-वाहिनी में अग्निशमन यंत्र आवश्यक रूप से लगा हुआ हो। जो बाल-वाहिनी स्कूल प्रबंधन की ओर से संचालित की जा रही है उनमें आवश्यक रूप से जीपीएस लगा हो तथा चालू स्थिति में हो। बाल-वाहिनी में प्रथम चिकित्सा बॉक्स एवं पीने के पानी की व्यवस्था होनी चाहिए। बाल-वाहिनी की खिड़कियों के शीशों पर किसी प्रकार की कोई फिल्म चढ़ी हुई नहीं हो, जिसके फलस्वरुप सड़क से ही बाल-वाहिनी के अंदर की स्थिति देख सकें।  बाल-वाहिनी के भीतर रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए। ताकि अंधेरे में उसका उपयोग किया जा सके। विशेष योग्यजन बालकों के चढ़ते-उतरने के लिए समुचित व्यवस्था हो तथा बाल-वाहिनी में उनके बैठने के लिए एक निश्चित स्थान आरक्षित किया जाए। जो भी बाल-वाहिनी चाहे वो स्कूल प्रबंध नेे द्वारा संचालित की जा रही हो या किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा अपने स्तर पर संचालित की जा रही हो, उसके वाहन चालक तथा परिचालक का नाम, मोबाइल नम्बर तथा लाईसेन्स की प्रति स्कूल प्रबंधन, यातायात पुलिस,संबंधित पुलिस थाने तथा परिवहन विभाग के पास आवश्यक रूप से होनी चाहिए। यह स्कूल प्रशासन एवं पुलिस विभाग परिवहन विभाग यातायात विभाग का कठोर दायित्व है कि वह सुनिश्चित करें कि प्रत्येक बाल-वाहिनी में एक परिचालक आवश्यक रूप से हो। यह प्रत्येक स्कूल प्रशासन का दायित्व है कि वह प्रत्येक बाल-वाहिनी चाहे वो वह स्कूल प्रशासन द्वारा संचालित की जा रही हो या किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा, उस बाल-वाहिनी से बच्चों को उतारने व चढ़ाने के लिए अपने विद्यालय परिसर में एक निश्चित स्थान प्रदान करें तथा किसी भी स्थिति में बच्चों को बाल-वाहिनी में उतरने व चढ़ने के लिए सड़क पर ही ना छोड़ा जाए।  किसी बाल-वाहिनी का सड़क पर परिचालन तभी होगा जब उस वाहन को बाल-वाहिनी के रूप में परिवहन विभाग के समक्ष पंजीकृत करवा लिया गया हो। न्यायाधिपति के.एस. झवेरी ने इन सभी दिशा-निदेर्शों की पालना कठोरता करवाने एवं समय-समय पर इनका निरीक्षण वास्तविक रूप से करने के निर्देश दिए है।  
चालक के पास होना चाहिए वाहन चलाने का अनुभव : सड़क पर बाल-वाहिनी के संचालन के लिए वाहन चालक की नियुक्ति के लिए आवश्यक है कि चालक के पास भारी वाहन चलाने का 5 वर्षीय अनुभव हो। यदि चालक के विरुद्ध लाल बत्ती को क्रोस करने, गलत जगह पर पार्किंग करने,स्टॉप लाइन का उल्लंघन करने में, वाहन को चलाने की लेन का उल्लंघन करने में, वाहन को चलाते समय ओवरटेक करने के लिए अप्राधिकृत व्यक्ति को चलाने के संबंध में दो से अधिक बार कोई चालान एक ही साल में पेश हो चुका है तो उसे चालक के रूप में बाल- वाहिनी चलाने की अनुमति नहीं दी जाए।  यदि किसी चालक के विरुद्ध तेज गति से वाहन चलाने, नशे में वाहन चलाने, उपेक्षापूर्ण तरीके से वाहन चलाने या धारा 279, 336, 337, 338 एवं 304 ए भारतीय दंड संहिता, 1860 तहत एक बार चालान पेश हो चुका है या आरोप लग चुका है तो ऐसी स्थिति में उसे चालक के रूप में बाल-वाहिनी चलाने की अनुमति नहीं दी जाए। 
पुलिस एवं यातायात विभाग की होगी जिम्मेदारी : पुलिस एवं परिवहन विभाग का यह दायित्व है कि वह यह सुनिश्चित करें कि बाल-वाहिनी का चालक उसको सड़क पर द्वितीय या तृतीय लेन में निर्धारित गति से एवं बिना मोबाइल बातचीत के, बिना म्यूजिक संचालन के एवं बिना धूम्रपान सेवन के चलाएं । बाल-वाहिनी की फिटनेस एवं संचालक का मेडिकल परीक्षण निर्धारित समय के अनुसार होना चाहिए। किसी भी बाल-वाहिनी में उसकी सीट क्षमता से 1.5 गुना अधिक बच्चों को नहीं बैठाया जाए, किंतु यदि 12 वर्ष से अधिक आयु का बालक है तो उसकी गणना एक पूरी सीट के लिए की जाए।

लोकसभा आम चुनाव को लेकर 24 से 26 अप्रैल तक सूखा दिवस घोषित

बाड़मेर, 26 मार्च। आबकारी विभाग के संयुक्त शासन सचिव के निर्देशानुसार लोकसभा आम चुनाव 2024 के परिपेक्ष्य में सम्पूर्ण बाड़मेर व बालोतरा जिले म...