अब नए नियमांे से हांेगे
सहकारी सोसायटियांे के चुनाव
बाड़मेर, 11 जुलाई। सहकारी समितियों के चुनाव में अब पांचवी कक्षा की निर्धारित शैक्षणिक योग्यता
रखने वाले अभ्यर्थी शामिल हो पाएंगे। इसके लिए सोमवार 10 जुलाई को राजस्थान
सहकारी सोसायटी नियम, 2003 में आवश्यक संशोधन किया गया है। अब संचालक मण्डल के सदस्यों के लिए न्यूनतम शैक्षणिक
योग्यता अनिवार्य होगी, ताकि सहकारिता क्षेत्र में शिक्षा का लाभ मिल सके तथा उनका प्रबंधन दक्ष हाथों
में सौंपा जा सके।
नए नियमांे के मुताबिक प्राथमिक डेयरी सोसायटियों, बुनकर सोसायटियों तथा
महिलाओं की सोसायटियों के संचालक मण्डल में सदस्य चुने जाने के लिए पांचवी कक्षा पास
होने की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता निर्धारित की है। जबकि प्राथमिक कृषि साख सोसायटियों, फार्मिंग सोसायटियों, कंज्यूमर सोसायटियों, गृह निर्माण सहकारी
सोसायटियों, अरबन बैंक,प्राथमिक भूमि विकास बैंक, क्रेडिट सोसायटियों, सैलेरी अर्नर्स सोसायटियों, सहकारी यूनियन या सभी केन्द्रीय या अपेक्स कोऑपरेटिव सोसायटियों के लिए आठवी कक्षा
पास होने की योग्यता निर्धारित की है। नए नियमों में विशिष्ट वर्गों की सोसायटियों
का निर्वाचन राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण के स्तर से करवाने का प्रावधान किया गया
है। इसमें सभी अपेक्स सहकारी संस्थाओं, सभी केन्द्रीय संस्थाओं, प्राथमिक कृषि साख सोसायटियों, फार्मर सर्विस सोसायटियों, प्राथमिक भूमि विकास बैंकों, अरबन कोऑपरेटिव बैंकों, कन्ज्यूमर कोऑपरेटिव सोसायटियों, डेयरी समितियों, बुनकर समितियों, गृह निर्माण सहकारी समितियों, क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटियों, ऐसी सभी सोसायटियां जिनमें पांच लाख रुपए या इससे अधिक की हिस्सा राशि है तथा वे
समितियां जिनके संबंध में समय-समय पर राज्य सरकार आवश्यक समझे को सम्मिलित किया गया
है। शेष सोसायटियां अपने स्तर से संस्था की साधारण सभा में संचालक मण्डल का निर्वाचन
करवा सकेंगी। सहकारिता विभाग के प्रमुख शासन सचिव अभय कुमार ने बताया कि सहकारी संस्थाओं
की कार्यप्रणाली में शिक्षा के महत्व को ध्यान में रखते हुए उनके संचालक मण्डल के निर्वाचन
के लिए शैक्षणिक योग्यता का प्रावधान नियमों में किया गया है। सोसायटियों में राज्य
सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण तथा संस्था के स्वयं के स्तर से करवाए जाने वाले निर्वाचन
के लिए प्रक्रिया को भी नियमों में निर्धारित कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि इस
निर्णय से सहकारी समितियों में पारदर्शी एवं लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचन संभव हो
सकेगा।