शुक्रवार, 21 मई 2021

21वीं सदी के भारत निर्माण में राजीव गांधी का अतुलनीय योगदान - चौधरी

राजीव गांधी की पुण्य तिथि पर आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार में राजस्व मंत्री ने रखे विचार

बाड़मेर, 21 मई। शुक्रवार को राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर लोकतंत्र में संवैधानिक संस्थानों की स्वायतता जरूरी विषय पर आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार में राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि आधुनिक भारत के निर्माता जवाहर लाल नेहरू थे, लेकिन 21वीं सदी के भारत के निर्माता राजीव गांधी थे। इसमे भी किसी का कोई संदेह नहीं है और यह कहना कतई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
इस दौरान उन्होनें भारत के अब तक के सबसे युवा और 21वीं सदी के भारत की नींव रखने वाले स्व. राजीवजी को उनकी पुण्यतिथि पर सादर नमन किया। उन्होनें कहा कि राजीव जी द्वारा लिए गए निर्णय ना भूलाये जाने वाले एवं भारत के इतिहास में मील का पत्थर साबित हूए। उनके प्रयासों से आज भारत 21वीं सदी मेे विश्व भर में अग्रीम पंक्ति पर खड़ा है।
उन्होनें कहा कि युवाओं के सशक्तिकरण के लिए राजीव गांधी ने वोट देने की उम्र सीमा 21 साल से घटा कर 18 साल कर दी। यह मत का अधिकार देकर युवाओं को देश के प्रति और जिम्मेदार तथा सशक्त बनाने की पहल राजीव गांधी जी की सोच का परिणाम था। साथ ही राजीव गांधी जी के ‘‘पावर टू द पीपल‘‘ आईडिया को उन्होने सता के विकेन्द्रीकरण व सत्ता को सबसे निचले स्तर तक हस्तान्तरित करने के लिए जब तक पंचायतीराज संस्थाओं को मजबूत नहीं किया जायेगा एवं व्यवस्था को सशक्त नहीं किया जायेगा तब तक निचले स्तर तक लोकतंत्र नहीं पंहुच सकता। इसी दिशा में राजीव गांधी जी की सरकार की और से तैयार 64वें संविधान संशोधन विधेयक के आधार पर नरसिम्हा राव सरकार ने 73वां संविधान संशोधन विधेयक पास कर इन संस्थाओ को मजबूत कर उनकी सोच ‘‘पावर टू द पीपल‘‘ को असली जामा पहनाया। जो आज सता विकेन्द्रीकरण की ओर मील का पत्थर साबित हुआ है और जिसके परिणाम आज हम सबके सामने है।
दूरदृष्टि के नेता के रूप में जब हम राजीव गांधीजी को याद करते हैं तो आज कोविड-19 के बाद की परिस्थितियों में विश्व स्तर पर समावेशी विकास की बाते होने लगी है। राजीव जी ने समावेशी विकास की बात आज से 35 वर्ष पहले की और जब उन्होंने नई शिक्षा नीति 1986 बनवाई और लागू करवाई तो सबसे ज्यादा फोकस यदि उस नीति में किया गया था तो वह था ‘समानता‘ मतलब समाज के सभी वर्गों महिलाओं, अनुसूचित जाति, जनजाति सभी को शिक्षा का समान अवसर मिले इसके और प्रयास प्रारम्भ किये। जवाहर नवोदय विद्यालय, उनकी सोच थी गांवों के बच्चो को भी उत्कृष्ट शिक्षा मिले। इस सोच के साथ राजीवगांधी ने जवाहर नवोदय विद्यालयों की नींव डाली थी और लगभग 600 जवाहर नवोदय विद्यालय स्थापित हुए और स्वतंत्र भारत में ग्रामीण प्रतिभाओं के लिए सर्वाधिक सफल मॉडल में से एक रहे। राजीव जी को 21वीं सदी के भारत के निर्माता कहने के पीछे उनके योगदान को कौन नहीं जानता है।
उन्होनें कहा कि  राजीव जी देश में कम्प्यूटर और दूरसंचार क्रंाति के प्रेरणास्त्रोत व जनक थे। उनका मानना था कि विज्ञान और तकनीकी की मदद के बिना उद्योगों का विकास कतई सम्भव नहीं है और इसी विचार के तहत उन्होने अपने वैज्ञानिक मित्र सैम पित्रोदा को अपना व्यवसाय छुड़वाकर भारत बुलाया और कम्प्यूटर व दूरसंचार क्रांति को अमली जामा पहनाया। भारत उस समय विकासशील देशों में विश्व मे अग्रिम देश था जिसने यह क्रांतिकारी निर्णय विज्ञान व तकनीकी के क्षेत्र मे लिया। ये उनकी भारत को विकसित देश की श्रेणी मे लाने की दुरगामी सोच का परिणाम था।
उस सोच व क्रांति का परिणाम यह देखने को मिला कि भारत में विश्व की अग्रणी सोफ्टवेयर कम्पनियों जैसे टीसीएस, इंफोसिस, विप्रो का आगाज हुआ जिन्होने पूरे विश्व मे इस क्षेत्र मे अपनी पकड़ बनाई। और मुझे यह कहते हुए गर्व का अनुभव हो रहा है कि उस दूरदृष्टा नेता की सोच का परिणाम यह रहा कि आज भारत की जीडीपी में अकेले उस क्षेत्र का योगदान 7.5 प्रतिशत से अधिक है और इसके साथ भारतीय टेलेन्ट को भारत में ही रोजगार का भी एक बड़ा जरिया बनाया।
उन्होनें कहा कि  राजीवजी को एक बार पुनः याद करना चाहूंगा कि वो वास्तव में एक लीडर थे पहले दिन से लेकर लगातार उन्होंने हर एक समस्या चाहे वो पंजाब, आसाम, नॉर्थ ईस्ट, श्रीलंका या रामजन्म के मामले तक सभी समस्याओं और मुद्दों को एडेªस किया और सुलझाया, समस्याओं को लटकाया नहीं। वास्तव मे भारत को 21वीं सदी में ले जाने व 21वीं सदी का भारत बनाने मे अपूरणीय योगदान दिया। हमें उनसे ढ़ेरों प्रेरणा मिलती है, उन्हीं को लेकर हम इस देश को आगे बढ़ाने में अपना सहयोग करें।
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