राजस्थान डायन-प्रताड़ना
निवारण अधिनियम पर प्रशिक्षण आयोजित
बाड़मेर, 21 जुलाई। डायन-प्रताड़ना के प्रकरण समाज के लिए अभिशाप है। जागरूकता की वजह से मौजूदा
समय मंे इस तरह के प्रकरणांे मंे खासी कमी आई है। ग्रामीण क्षेत्रांे मंे कभी-कभार
ऐसे मामले सामने आते है। डायन प्रताड़ना अधिनियम का अधिकाधिक प्रचार-प्रसार करके इस
पर अंकुश लगाया जा सकता है। जिला कलक्टर शिवप्रसाद मदन नकाते ने जिला परिषद सभागार
मंे शुक्रवार को महिला अधिकारिता विभाग एवं नई दिल्ली की संस्था पीएलडी के संयुक्त
तत्वावधान मंे डायन-प्रताडना निवारण अधिनियम 2015 एवं नियम 2016 के तहत आयोजित कार्यशाला के दौरान यह बात कही।
जिला कलक्टर शिवप्रसाद मदन नकाते ने कहा कि समाज मंे परिवर्तन लाने के लिए इस अधिनियम
की जानकारी ग्रासरूट तक पहुंचाने की जरूरत है। उन्हांेने कहा कि इस अभियान मंे ग्राम
पंचायत एवं ग्राम स्तर के कार्मिकांे की भागीदारी सुनिश्चित की जाए। उन्हांेने कहा
कि उक्त अधिनियम का व्यापक प्रचार प्रसार करने के साथ प्रताड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने
की दिशा में सकारात्मक सोच के साथ कार्य करना होगा। उन्हांेने पुलिस अधिकारियांे सेे
इस तरह के प्रकरणांे मंे तत्काल प्रभावी कार्यवाही करने की बात कही। जिला परिषद के
मुख्य कार्यकारी अधिकारी एम.एल.नेहरा ने कहा कि राज्य सरकार ने वर्ष 2015 में उक्त अधिनियम
को प्रभावी किया है। प्रशिक्षण में उपस्थित सभी संभागियों को उक्त अधिनियम के सभी प्रावधानों
की जानकारी रखते हुए अपने-अपने कार्य क्षेत्र में इसके लिए कार्य करना होगा। इस दौरान
प्रशिक्षण कार्यक्रम में नई दिल्ली की संस्था पीएलडी की प्रतिनिधि रचना शर्मा एवं अभिती
ने राजस्थान डायन-प्रताडना निवारण अधिनियम 2015 एवं नियम 2016 के तहत निर्दिष्ट प्रावधान, रोकथाम, अपराधों का निवारण और सजा एवं पीडित महिला को राहत और पुनर्वास आदि की विस्तार
से जानकारी दी। उन्हांेने उपस्थित संभागियों के प्रश्नों एवं जिज्ञासाओं का समाधान
किया। महिला अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक प्रहलादसिंह राजपुरोहित ने राजस्थान डायन-प्रताडना
निवारण अधिनियम के तहत सजा का प्रावधान हैं,
वहीं पीडित महिला को राहत भी दी जाती है। उन्हांेने कहा कि राजस्थान
डायन प्रताड़ना निवारण अधिनियम को लेकर अधिकाधिक जागरूकता लानी होगी। कार्यशाला मंे
कोषाधिकारी दिनेश बारहठ समेत विभिन्न विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।
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