सोमवार, 17 अप्रैल 2023

बाल विवाह आयोजनों पर प्रभावी रोकथाम हेतु बैठक आयोजित

बाल विवाह रोकने के लिए समाज की मानसिकता एवं सोच में सकारात्मक परिवर्तन लाना आवश्यक - लोक बन्धु

बाड़मेर, 17 अप्रैल। जिला कलेक्ट्रेट परिसर में जिले में बाल विवाह आयोजनों पर प्रभावी नियंत्रण हेतु बैठक जिला कलेक्टर लोक बंधु की अध्यक्षता में आयोजित हुई।
इस अवसर पर वी सी माध्यम से राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य सचिव रूपाली बनर्जी सिंह जुड़ी रही तथा सभी जिला कलेक्टर महोदय से बाल विवाह को रोकने संबंधी कार्ययोजना पर विस्तृत चर्चा की तथा बाल विवाह रोकने हेतु प्रभावी कार्यवाही करने के निर्देश दिए।
इस अवसर पर जिला कलेक्टर लोक बंधु ने बताया कि जिले में अक्षय तृतीया, पीपल पूर्णिमा एवं अन्य सावों पर विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाह के आयोजन के रोकथाम हेतु प्रभावी कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए। साथ ही बाल विवाह के आयोजन किए जाने की स्थिति में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की धारा 6 के तहत जवाबदेही नियत किए जाने के निर्देश दिए गए और बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीति को रोकने हेतु प्रभावी कार्यवाही करने के निर्देश दिए।
उन्होंने बताया कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अनुसार बाल विवाह अपराध है। गत वर्षों की भांति बाल विवाह की प्रभावी रोकथाम के लिए ग्राम एवं तहसील स्तर पर पदस्थापित विभिन्न विभागों के कर्मचारियोंध्अधिकारियों तथा जनप्रतिनिधियों वृताधिकारियों, थानाधिकारियों, पटवारियों, भू-अभिलेख निरीक्षको, ग्राम पंचायत सदस्यों, ग्रामसेवकों, कृषि पयवेक्षकों, महिला एवं बाल विकास के परियोजना अधिकारियों पर्यवेक्षकों, आगनवाडी कार्यकर्त्ताओं, महिला सुरक्षा सखी शिक्षकों, नगर निकाय के कर्मचारियों, जिला, परिषद एवं पंचायत समिति सदस्यों, सरपंचों तथा वार्ड पंचों के माध्यम से बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के प्रावधानों का व्यापक प्रचार-प्रसार कर आम जन को जानकारी कराते हुए जनजागृति उत्पन्न कर, बाल विवाह रोके जाने के लिए कार्यवाही करने के निर्देश दिए। बाल विवाह रोकने के लिए समाज की मानसिकता एवं सोच में सकारात्मक परिवर्तन लाना आवश्यक है। इस संदर्भ में बाल विवाह की रोकथाम हेतु जन सहभागिता व चेतना जागृत करने हेतु कार्य योजना बनाकर कार्य किया जाना आवश्यक है।
उन्होंने बताया कि जिला व ब्लॉक स्तर पर गठित विभिन्न सहायता समूह, महिला समूह, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आंगनबाडी कार्यकर्ता, महिला सुरक्षा सखी, साथिन सहयोगिनी के कोर ग्रुप को सक्रिय किया जाये। ऐसे व्यक्ति व समुदाय जो विवाह सम्पन्न कराने में सहयोगी होते हैं यथा हलवाई, बैण्ड बाजा, पंडित, बाराती, टेंट वाले ट्रांसपोर्टर इत्यादि से बाल विवाह में सहयोग न करने का आश्वासन लेना और उन्हें कानून की जानकारी देते हुए जन प्रतिनिधियों व प्रतिष्ठित व्यक्तियों के साथ चेतना बैठकों का आयोजन किया जाना चाहिए। ग्राम सभाओं में सामुहिक रूप से बाल विवाह के दुष्प्रभावों की चर्चा करना व रोकथाम की कार्यवाही करने एवम् बाल विवाह रोकथाम हेतु किशोरियों, महिला समूहों, स्वयं सहायता समूहों य विभिन्न विभागों के कार्यकर्ता के साथ समन्वय बैठक आयोजित की जाये तथा इनके कार्मिकों को बाल विवाह होने पर निकट के पुलिस स्टेशन में सूचना देने हेतु पाबन्द करने के निर्देश दिए। विवाह हेतु छपने वाले निमंत्रण पत्र में आयु का प्रमाण प्रिन्टिंग प्रेस वालो के पास रहने एवं निमंत्रण पत्र पर वर वधु की जन्म तिथि अंकित करने के निर्देश दिए। बाल विवाह को रोकने के लिए अक्षय तृतीया, पीपल पूर्णिमा जैसे अबूझ सावों पर जिला और उपखण्ड कार्यालयों में नियंत्रण कक्ष स्थापित किये जायें। बाल विवाह की रोकथाम हेतु 181 कॉल सेन्टर पर तथा पुलिस नियंत्रण कक्ष के 100 नम्बर पर कॉल कर कभी भी शिकायत दर्ज करवाई जा सकती हैं। इसका भी
व्यापक प्रचार प्रसार किया जावे। विद्यालयों में बाल-विवाह के दुष्परिणामों व इससे संबंधित विधिक प्रावधानों की जानकारी दिये जाने हेतु सभी स्कूलों को निर्देशित करने को कहा।
  इस बैठक के दौरान सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक पुखराज सारण, महिला अधिकारिता विभाग के उप निदेशक प्रहलाद सिंह राजपुरोहित, बाल अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक राजीव सुथार एवं बाल संरक्षण समिति के अध्यक्ष चेतनराम सारण उपस्थित रहे।
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