बुधवार, 10 अगस्त 2022

पशुपालन सचिव पहुंचे बाड़मेर, मौके पर जाकर लिया जायजा

 लंपी स्किन डिजीज की रोकथाम

जिले भर के 153 गांवों तक पहंुचे पशु चिकित्सा भ्रमण दल,
41350 पशुओं का सर्वे, 3709 का उपचार, 2101 पशु हुए स्वस्थ
पशुपालक जन जागृति अभियान के तहत गोष्ठियों में किया पशुपालकों को जागरूक
बाड़मेर, 10 अगस्त। जिले में लंपी स्किन डिजीज के नियंत्रण व रोकथाम को लेकर पशुपालन विभाग की ओर से क्षेत्र में तैनात किए गए पशु चिकित्सा भ्रमण दलों ने मंगलवार को 3709 बीमार पशुओं का उपचार किया।
इस बीच राज्य के पशुपालन विभाग के सचिव पीसी किशन ने बुधवार को बाड़मेर में लंपी स्किन डिजीज की विस्तृत समीक्षा की। उन्होंने जिला कलेक्टर लोक बंधु से चर्चा कर पशुपालन विभाग के कामो की समीक्षा की एवं आवश्यकतानुसार बजट तथा संसाधन मुहैया कराने का भरोसा दिलाया। इससे पूर्व  किशन ने मंगलवार को कल्याणपुर, पचपदरा एवं बायतु में लंपी स्किन से प्रभावित गोवंश का मौके पर जाकर जायजा लिया एवं उपचार कार्यो की समीक्षा की।
पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. विनय मोहन खत्री ने बताया कि जिले के पंचायत समिति मुख्यालयों पर तैनात की गई टीमों ने आवश्यकतानुसार रोग प्रभावित गांवों व ढाणियों का दौरा कर मंगलवार को 41350 पशुओं का सर्वे किया, इनमें से रोग के लक्षण पाए जाने पर 3709 पशुओं का मौके पर ही उपचार किया गया एवं 2101 पशु बीमारी से स्वस्थ हुए। जबकि 35 पशुओं की मृत्यु हुई। उन्होंने बताया कि वर्तमान में कार्यरत टीमों के द्वारा अब तक जिले के प्रभावित क्षेत्रों में कुल 309401 पशुओं का सर्वे किया गया, जिसमें 37255 पशु लंपी स्किन डिजीज से प्रभावित पाए गए, जिनका मौके पर ही समुचित उपचार किया गया इनमें से 14398 पशु बीमारी से स्वस्थ हुए। शेष 21238 संक्रमित पशुओं का उपचार जारी है अब तक कुल 1619 पशुओं की मृत्यु हो गई।
यहां पहंुचे पशुचिकित्सा दल
मंगलवार को जिले के बाडमेर क्षेत्र के जोगासर कुआ, रावतसर, बग्गे का तला, सरनु, कुडला, गेंहू, बायतू क्षेत्र के माधासर, बोडवा, बायतू भीमजी, वीरेंद्रनगर, लापला, झाख, अकदडा, रेवाली, खानजी का तला, बायतू चिमनजी, माडपुरा बरवाला, गिडा क्षेत्र के खोखसर, करालिया बेरा, कानोड सवाऊ मूलराज, चिमानियों की ढाणी, चिड़िया, श्यामपुरा, पचपदरा क्षेत्र के सांवरा, दुर्गापुरा, सिमरखिया, चिलानाडी, सागरनाडी, बालोतरा क्षेत्र असाडा, असोतरा, माजीवाला, टापरा, बुड़ीवाड़ा, जागसा, कालुड़ी, कितपाला, भाखरीखेड़ा, जसोल, मेवानगर, सिनली जागीर, वरिया वरेचा, किटनोद, बिठूजा, मुंगड़ा, रामसीन, कनाना, सराणा, पारलू, जानियाना, खट्टू ,गोल स्टेशन, चांदेसरा, तिलवाड़ा, दुदवा, भीमरलाई, कल्याणपुर क्षेत्र के सरवडी, डोली राजगुरा, डोली कल्ला, तिबनिया, समदडी क्षेत्र सांवरडा, राखी, फूलन, खंडप, गोलिया, सरवडी चारणान, सिवाना क्षेत्र के मवड़ी, गोलिया भायलान, देवंदी, पीपलून, सिणधरी क्षेत्र के श्री कामधेनु गौशाला, एड सिणंधरी, एड मांनजी, करना, मंागावास, सिणंधरी चारणन, सिंणधरी चोसिरा, मोतीसरा, पायलाकल्ला, लोलावा, कादानादी, कोशलु, नेहरों की ढाणी, सडेचा, निंबलकोट, होडू, समदरो का तला, दाखां, धनवा जूनामीठा खेड़ा, खारा महेचान, बडनावा, भाटा, चाडों की ढाणी सणपा, खरंटिया, अरनियाली, टाकुबेरी, गुडामालानी क्षेत्र के गोगाजी की जाल, हीरानगर, बांड, अर्जुन की ढाणी, मालपुरा, आडेल, आदर्श आडेल, सिंघासवा चौहान, भाखरपुरा, रामजी का गोल, भेडाना, देवनगर, सिंघासवा हरनियान, धोरीमन्ना क्षेत्र के भलीसर, भलीसर गांव, सारणो का तला, मुसलमानों की ढाणी, पाबुबेरा, भीमथल डेर, जाखडों की ढाणी, चौनपुरा, अरनियाली, माणकी, अंणदानियों की ढाणी, श्री आलम गौशाला, श्रीनारायण गौशाला, सेडवा क्षेत्र के पीरू का तला, सिहारनिया, लकडासर, बुलानी, मोगावा, हेमावास, पांचला, चौहटन क्षेत्र के जैसार, धनाऊ क्षेत्र के अमीं मोहम्मद शाह की बस्ती, बामनोर, फगलू का तला, गडरारोड क्षेत्र के खलीफे की बावडी, ,खारची, कुबडिया, संाखली, रामसर क्षेत्र के रामसर अगोर, अभे का पार, गरड़िया, सेतराऊ, जाखडो का तला, मेकरनवाला, इंद्रोई, बसरा, शिव क्षेत्र के मुंगेरिया, बिसुकल्ला, कानासर, बरियाडा, पोशाल में पहंुच कर पशु चिकित्सा भ्रमण दलों ने लंपी स्किन डिजीज को लेकर सर्वे व उपचार कार्य किया।
उन्होंने बताया कि इस दौरान पशु चिकित्सा दल प्रभारियों ने रोग की रोकथाम के लिए पशुपालक जन जागृति अभियान के तहत पशुपालकों के साथ बैठकर चेतना शिविर व गोष्ठी का आयोजन कर पशुपालकों को एहतियात के तौर पर बीमारी को फैलने से रोकने के लिए उपाय बताए। जिसमें बीमार पशुओं को आइसोलेट करने एवं बाड़े में मच्छर-मक्खियों के नियंत्रण हेतु साफ सफाई व दवा छिड़काव के निर्देश दिए जा रहे हैं। उन्होने बताया कि लंपी स्कीन डिजीज एक एक्सोटिक वायरस जनित रोग हैं, जिसका निश्चित उपचार संभव नहीं हैं, उपचार के तौर पर एंटीबायोटिक्स, इम्यूनोमोडूलेटर, एंटीइंफ्लामेंटरी, एंटीहिस्टामिनीक व मल्टी विटामिन दवाएं प्रयोग में ली जाती हैं। उक्त औषधियां भी एक स्तर तक ही प्रभावी हैं। लिहाजा रोग के नियंत्रण व रोकथाम हेतु पशुचिकित्सा भ्रमण दलों की ओर से निरंतर पशुपालकों की गोष्ठी व जन चेतना शिविर आयोजित कर पशुपालकों को रोग के संबध में जागरूक किए जाने के प्रभावी प्रयास किए जा रहे हैं। जिसमें पशुपालकों को रोग के लक्षणों, सामान्य उपचार, घरेलू व देशी नुस्खे, जैव-सुरक्षा उपायों आदि को अपनाए जाने, पशु गृहों व केयर टेकर की सामान्य सफाई-विसंक्रमण के सामान्य सिद्धांतों की पालना, रोगी पशुओं को आईसोलेट करने, आवागमन निषिद्ध किए जाने तथा स्थानीय निकाय (नगर परिषद अथवा ग्राम पंचायत) के सहयोग से मृत पशुओं के वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण करने की व्यापक जानकारी दी जा रही हैं।
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