शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2022

जीरा फसल में झुलसा एवं छाछ्या रोग नियंत्रण उपाय की सलाह

 बाड़मेर, 11 फरवरी। जिले में गत दिनों बादल छाये रहने के कारण कुछ स्थानों पर जीरा फसल में प्रकोप प्रारम्भ हो गया है।

उप निदेशक कृषि (वि.) वीरेन्द्रसिंह सोलंकी ने कृषकों को सलाह दी है कि समय पर इसकी रोकथाम करें अन्यथा नुकसान होने की संभावना है।
झुलसा के लक्षण-
उन्होने बताया कि फसल में फूल आना शुरू होने के बाद अगर आकाश में बादल छाये रहें तो इस रोक का लगना निश्चिय हो जाता है। रोग में पौधों की पत्तियों एवं तनों पर गहरे भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते है तथा पौधों के सिरे झुके हुए नजर आने लगते है। यह रोग इतनी तेजी से फैलता है कि रोग के लक्षण दिखाई देते ही यदि नियंत्रण न किया जाये तो फसल को नुकसान से बचाना मुश्किल होता है।
रोग नियंत्रण
झुलसा के नियंत्रण हेतु बुलाई के 30-35 दिन बाद फसल पर दो ग्राम थायोफनेट मिथाइल 70 डब्ल्यू.पी. या मैन्कोजेब 75 डब्ल्यू.पी. या जाइरम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़के। आवश्यकतानुसार यह छिड़काव 10 से 15 दिन बाद दोहरायें।
छाछ्या एवं झुलसा रोगों के एक साथ नियंत्रण हेतु जाइनेब 68 प्रतिशत $ हैक्जाकोनाजोल 4 प्रतिशत का 2 ग्राम प्रति लीटर या मेटिराम 55 प्रतिशत $ पाइराक्लोस्ट्रोबिन 5 प्रतिशत या 3.5 ग्राम प्रति लीटर या पाइराक्लोस्ट्रोबिन 13.3 प्रतिशत $ इपोक्सीकोनाजोल 5 प्रतिशत या 1.5 एम.एल. प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करेें। आवश्यकतानुसार 15 दिन के अन्तराल पर छिड़काव दोहरायें।
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