सोमवार, 24 जनवरी 2022

पॉलिटेक्निक महाविद्यालय डिजिटल सेफ्टी कार्यक्रम

ई-वेस्ट मेनेजमेंट पर तकनीकी सत्र

बाड़मेर, 24 जनवरी। राजकीय पॉलिटेक्निक महाविद्यालय बाड़मेर में 21 जनवरी से सप्ताह भर तक चलने वाले ऑनलाइन प्रोग्राम ‘‘डिजिटल सेफ्टी एंड वेलबिंगः टूल्स एंड टेक्निक्स‘‘ कार्यक्रम के चौथे दिन ई-वेस्ट मेनेजमेंट,भारतीय डिजिटल  इकोसिस्टम के सेफगार्ड एवं फेक जॉब पोर्टल्स आदि विषयों पर सेमिनार हुए।
पहले सत्र मे तकनीकी शिक्षा निदेशालय, जोधपुर के पूर्व निदेशक पर्यावरण विशेषज्ञ आचार्य इंजी. दरिया सिंह यादव ने ई-वेस्ट एवं ग्रीन टेक्नोलोजी विषय पर कहा कि धरती पर बढ़ रहे प्रदूषण के कारण हर वर्ष लाखांे की संख्या में जन हानि हो रही है। इस प्रदूषण में टेक्नोलोजी के बढ़ते इस्तेमाल के कारण ई दृप्रदूषण का योगदान भी दिनोदिन बढ़ रहा है। उन्होने बताया कि भारत मे वर्ष 2020 मे छपी एक रिपोर्ट के अनुसार ई-वेस्ट 20 लाख टन तक बढ़ गया है जिसे मेनेज करने की  दिशा मे भारत सरकार द्वारा वर्ष 2011 से ही प्रयास किए जा रहे जिसमे निर्माताओ को उनके निर्माण का 10 प्रतिशत ई-वेस्ट संग्रहण के टार्गेट दिये गए है और वर्ष 2023 तक इसे बढ़ाकर 70 प्रतिशत तक किया जाना प्रस्तावित है ताकि ई-वेस्ट से प्रदूषण मे कमी लाई जा सके।
दूसरे तकनीकी सत्र मे दिल्ली उच्च न्यायालय मे प्रेक्टिसिंग एडवोकेट साक्षर ने भारतीय डिजिटल इकोसिस्टम के सेफगार्ड विषय के संबंध मे कहा कि आज के समय मे इलेक्ट्रोनिक डेटा ही सब कुछ हो गया है, वह एक उद्योग का रूप ले चुका है। इस डेटा को सुरक्षित करना आज के समय की मांग है। डेटा इकॉनमी के कानूनी प्रावधानों के बारे मे विस्तार से बताया। हेकर्स द्वारा रेनसमवेयर अटेक का बड़े स्तर पर प्रयोग किया जा रहा है जिस पर सरकारी नियंत्रण की महती आवश्यकता है। साइबर कानूनों एवं सिक्योरिटी की जानकारी से ही हम इन हमलों से बच सकते है।
अंतिम सत्र मे पॉलिटेक्निक महाविद्यालय बीकानेर मे कार्यरत सहायक निदेशक लाल चंद विश्नोई ने फेक जॉब पोर्टल्स एवं मेट्रीमोनियाल फ्रौड विषयों पर चर्चा मे कहा कि फ्रेशर छात्र जल्दी नौकरी लगने के लालच मे फेक जॉब पोर्टल्स का कई बार शिकार हो जाते है जिससे बचने की जरूरत है और उन्होने ऐसे मामलो मे बचाव के टिप्स सुझाए- जैसे बड़ी बड़ी प्राईवेट कंपनियो की नकली वैबसाइट से बचना, सर्च के दौरान शुरुआती लिंक के बजाय तीन-चार लिंक छोड़ कर कंपनी का प्रामाणिक लिंक मिलना, सरकार के कंपनी मामलों के मंत्रालय की वैबसाइट पर प्रामाणिकता चेक करना इत्यादि। कंपनी की प्रामाणिकता जांच के बाद ही आवेदन की प्रक्रिया पूर्ण करनी चाहिए। डॉ. बिश्नोई ने बताया कि मैट्रिमोनियल फ्रॉड से बचने के लिए केवल आधिकारिक वेबसाइट पर ही अपना बायोडाटा अपलोड करना चाहिए तथा किसी भी लोकलुभावन वैवाहिक प्रस्ताव पर बैकग्राउंड चेक अवश्य करना चाहिए।
प्रतिभागियों ने सत्र के अंत मे विषय विशेषज्ञों से प्रश्न पूछे जिनका विशेषज्ञों ने उदाहरण देकर समाधान किया। कार्यक्रम का ऑनलाइन संचालन कोर्डिनेटर प्रशांत जोशी प्रवक्ता कम्प्यूटर द्वारा किया गया। संस्थान की कम्प्यूटर प्रवक्ता ममता चौधरी ने विशेषज्ञों का परिचय कराया एवं का-कोर्डिनेटर रोशन लाल ने विशेषज्ञो का धन्यवाद ज्ञापित किया।  
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