बाड़मेर, 05 अक्टूबर। जिले में रबी में अधिकांष कृषको द्वारा जीरा एवं इशबगोल फसलांे की बुवाई की जाती है। ये दोनो फसलें मौसम से बहुत अधिक प्रभावित होती है, साथ ही जनवरी व फरवरी माह में वर्षा होने से बहुत अधिक नुकसान की सम्भावना रहती है। वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए कृषक अगर रायडा/सरसांे की बुवाई करे तो अच्छा लाभ कमाया जा सकता है।
कृषि (विस्तार) विभाग के उप निदेशक वीरेन्द्र सिंह सोलंकी ने बताया कि रायडा/सरसों एक बहुपयोगी तिलहन फसल है, जिसमें जीरा व इशबगोल की तुलना में पानी एवं अन्य आदानो की लागत कम है तथा प्रति हैक्टेयर उत्पादन लगभग दुगुना होता है। वर्तमान में सरसों का बाजार भाव भी बहुत अच्छा है। इस वर्ष नर्बदा केनाल से सिंचित क्षेत्रों में गत वर्षो की तुलना में केवल 60 प्रतिशत ही सिंचाई का पानी मिल पायेगा। वर्तमान स्थिति को देखते हुए सरसांे/रायडा की बुवाई की जाती है तो किसानों को अच्छा लाभ प्राप्त हो सकता है। उन्होनें बताया कि अधिक उत्पादन हेतु रायडा/सरसों की गिरीराज, पूसा सरसों-26, आरएच 749, बायो 902, किस्मों की बुवाई करनी चाहिए। अभी सरसों की बुवाई का उपयुक्त समय है, जिन क्षैत्रों में सितम्बर अन्त में अच्छी वर्षा हुई है एवं भूमि में पर्याप्त नमी है वहाँ सरसों की बुवाई कर बाद में दो-तीन सिंचाई से सरसों का अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
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