बाड़मेर, 22 फरवरी। जलवायु परिवर्तन
के प्रभाव के साथ किसानों को भी खेती के तौर तरीको में बदलाव करना होगा। ताकि उनकी
आजीविका को सुदृढ रखा जा सके। काजरी जोधपुर के डॉ. डी कुमार ने लूणवा जागीर एवं माडपुरा
मंे आयोजित जायद फसल में दलहनी बीज उत्पादन प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान यह बात कही।
उन्हांेने कहा कि इस
हेतु खेती मे नये अनुसंधानो का अनुकरण करते हुए कम पानी, कम लागत व कम समय मे
पकने वाली किस्मो को अपनाना चाहिए। ताकि किसानो की आमदनी में वृद्धि हो सके। उन्हांेने
जायद फसल में मंूुग व मोठ के बीज की प्रदर्शनी लगाकर बीज तैयार करने के तरीके किसानो
को बताए। इस दौरान बीज प्रदर्शनी में सावधानिया रखने वाली बातो पर विस्तार से किसानो
के साथ संवाद किया गया। उनको बताया गया कि बिजाइ से पहले खेत की अच्छी तरह तैयारी करके
बीज को उपचारित करके बोए, ताकि कीट एवं व्याधि को नियंत्रण किया जावे। बिजाइ का समय,
बीज दर प्रति एकड कितना
लेना है, मंूुग व मोठ की उन्नत किस्मे, सिंचाइ एवं निराइ गुडाइ व 35 दिन तक खरपतवार को
निकाते रहे ताकी फसल की बढवार अच्छी हो सके। फसल चक्र अपना कर रोगो को आने से पहले
रोक सके। इस दौरान केयर्न के सी एस आर प्रबन्धक भानु प्रताप सिहं ने कम्पनी के कार्यक्रम
के बारे में चर्चा की। उन्हांेने कहा कि बायफ संस्था के माध्यम से आपके गांव तक वैज्ञानिको
को बुलाकर वैज्ञानिक विधि की जानकारी किसानो तक पहुंचाने का कार्य करती है। ताकि किसान
खेती एवं पशुपालन की वैज्ञानिक विधि को अपना कर आमदनी को बढाया जावे। दलहनी फसले उगाकर
आमदनी बढाने के साथ साथ जमीन का स्वास्थ्य में भी सुधार होगा। अभी गर्मी में दलहनी
फसले उगाकर बीज तैयार करके आने वाले समय के लिए किसानो के लिए बीज तैयार होगा। ताकि
आपको बाजार से अधिक मुल्य में खरीदना नही पडे। बायफ से डॉ. राधवेन्द्र दुबे ने केयर्न
की ओर से संचालित वाडी परियोजना के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि यह परियोजना किसानो
के लिए आजीविका का अच्छा साधन है। वर्तमान में बेर एवं अनार का उत्पादन प्रारंभ हो
गया है। जिससे किसानो को आमदनी होने लगी है। परियोजना अधिकारी नगीन पटेल ने किसानो
को केयर्न द्वारा संचालित परियोजना के बारे में बताया। इस दौरान संकुल प्रभारी विजय
कुमार, रहीम खान पठान उपस्थित रहे।
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