मंगलवार, 5 जून 2018

पर्यावरण जागरूकता के लिए नेचर वॉक का आयोजन


                बाड़मेर, 05 जून। विश्व पर्यावरण दिवस से पहले आमजन में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से बाड़मेर के तेल-गैस क्षेत्रों में सप्ताह भर चलने वाले कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इसी कड़ी में रविवार तथा सोमवार को नेचर वॉक तथा पौधारोपण किया गया।
                केयर्न ऑयल एंड गैस वेदांत लिमिटेड के राजस्थान ऑपरेशन क्षेत्र में 1 जून से 5 जून तक विश्व पर्यावरण सप्ताह मनाया जा रहा है। हमारे पर्यावरण की सुरक्षा के लिए छोटे से छोटा कदम भी महत्वपूर्ण है इस भावना को प्रोत्साहित करने के लिए नेचर वॉक का आयोजन किया गया। बाड़मेर जिला वन अधिकारियों के सहयोग से गंगाली गांव वन में गेनेश्वर महादेव मंदिर पहाड़ी इलाके में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। नेचर वॉक के दौरान बाड़मेर के उप वन संरक्षक विक्रम प्रधान केसरी-आईएफएस और लखन सिंह-एसीएफ बालोतरा ने को फॉरेस्ट गार्ड, केयर्न अधिकारी और इंजीनियरों की टीम का नेतृत्व किया। इस दौरान इजिप्शियन गिद्ध, ग्रीन बी ईटर, वाइट ईयर बुलबुल, रेड व्हिस्कड बुलबुल, टेलर बर्ड, लाफिंग बर्ड के अल्वा चिंकारा, रेगिस्तानी लोमड़ी, खरगोश जैसी विभिन्न वन्यजीव प्रजातियों के जीव देखे गए। प्रतिभागियों को गुगल, रोहिडा, जाल, कुमठ आदि जैसे वनस्पतियों की जानकारी भी दी गई।  प्रकृति चर्चा के दौरान विक्रम प्रधान केसरी ने गिद्ध आबादी पर मंडरा रहे खतरों के संबंध में समूह को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि गिद्ध बड़े जानवरों के शवों से भोजन प्राप्त करते हैंऔर  इस प्रकार पर्यावरण की सफाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत में पाए गए गिद्धों की नौ प्रजातियां हैं, जिनमें से चार को प्रकृति और प्राकृतिक संसाधन संरक्षण केअंतर्राष्ट्रीय संघ ने संकटग्रस्त प्रजातियों की सूची में गंभीर रूप से लुप्तप्राय के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।  गिद्धों की आबादी का तेजी से कम होना भारत में पर्यावरण से जुडी एक गंभीर समस्या है। गिद्धों के अस्तित्व के मुख्य खतरों में एनाल्जेसिक डिक्लोफेनाक, आवास विनाश, कीटनाशक प्रदूषण, धीमी प्रजनन दर, शवों की कमी आदि प्रमुख हैं। सहायक वन संरक्षक ने नेचर वॉक में शामिल होते हुए विभिन्न वन्य जीव प्रजातियों के बारे में बताया और अधिकारियों को इस प्रकार की आयोजन निरंतर करने का सुझाव दिया।  स्नेचर वॉक की शुरुआत वन्य जीव पेयजल सुविधा स्थल से हुई। इस स्थल को गत वर्ष केयर्न ने जिला वन विभाग के परामर्श से विकसित किया था। पेयजल सुविधा में सभी मौसमों में पूरे वर्ष जंगली जीवन के लिए पानी उपलब्ध कराने के लिए बोर वेल, सौर ऊर्जा पंप और जल भंडारण तालाब शामिल है। इस कड़ी में आयोजित हुए पौधरोपण कार्यक्रम में युवा इंजीनियरों ने भाग लिया।




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