शुक्रवार, 11 जून 2021

मनरेगा में श्रमिक नियोजन में बाड़मेर जिला प्रदेश में अव्वल

 वैश्विक महामारी कोविड-19 में मनरेगा बनी वरदान

बाड़मेर, 11 जून। वैश्विक महामारी कोविड-19 मंे महात्मा गांधी नरेगा योजना ग्रामीणांे के लिए वरदान साबित हो रही है। लॉक डाउन मंे सोशल डिस्टेंच के साथ महात्मा गांधी नरेगा योजना को अनलॉक करने से ग्रामीणांे को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध होने लगा है। इसकी बदौलत बाड़मेर जिला 1 लाख 41 हजार 614 श्रमिकांे के नियोजन के साथ प्रदेश मंे अव्वल स्थान पर है।
कोविड-19 की रोकथाम के लिए पूरे प्रदेश मंे पिछले काफी समय से लॉक डाउन लगा हुआ है। परिवहन के साधनांे पर अंकुश रहने से ग्रामीणांे के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया। ऐसी स्थिति मंे ग्रामीणांे के लिए महात्मा गांधी नरेगा योजना खासी मददगार साबित हुई। कुछ दिन पूर्व राज्य सरकार ने महात्मा गांधी नरेगा योजना को अनलॉक करते हुए सोशल डिस्टेंस के साथ ग्रामीणांे को रोजगार उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। मौजूदा समय मंे बाड़मेर जिला श्रमिक नियोजन के लिहाज से पूरे राज्य मंे अव्वल स्थान पर है। बाड़मेर जिले मंे 1 लाख 41 हजार 614 श्रमिक नियोजित है। जबकि 1 लाख 27 हजार 035 श्रमिकांे के नियोजन के साथ बांसवाड़ा जिला दूसरे एवं 69 हजार 281 श्रमिक नियोजन के साथ डूंगरपुर जिला तीसरे स्थान पर है।
जिला कलक्टर एवं जिला कार्यक्रम समन्वयक लोक बंधु के मुताबिक महात्मा गांधी नरेगा योजना में  स्थानीय स्तर के साथ प्रवासियांे को भी रोजगार मिल रहा है। उनके मुताबिक कार्य स्थल पर सोशल डिस्टेंस की पालना करवाने के साथ मास्क कीअनिवार्यता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए है। कार्यस्थल पर अधिकाधिक भीड़भाड़ नहीं हो, इसके लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना एवं व्यक्तिगत श्रेणी के कार्यों को प्राथमिकता दी गई है।
सार्वजनिक प्रवृति के कार्यों पर सोशल डिस्टेंस, साबून से हाथ धोने तथा मास्क के इस्तेमाल के लिए श्रमिकांे से समय-समय पर समझाइश की जा रही है। इसके लिए विकास अधिकारियांे एवं तकनीकी अधिकारियांे को नियमित रूप से कार्य स्थल भ्रमण करने के लिए कहा गया है।
अतिरिक्त जिला कार्यक्रम समन्वयक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोहन दान रतनू के मुताबिक ग्राम पंचायत स्तर से अतिरिक्त कार्य स्वीकृत करने के लिए प्रस्ताव भी मांगे गए है। बेरोजगार प्रवासियांे को मिला रोजगारः बाड़मेर जिले के हजारांे लोग गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब समेत दक्षिण भारत के विभिन्न राज्यांे में विभिन्न प्रतिष्ठानांे मंे नियोजित थे। लॉक डाउन लगने के साथ बड़ी तादाद मंे बाड़मेर लौटे प्रवासियांे के सामने रोजगार का संकट हो गया। ऐसी स्थिति मंे महात्मा गांधी नरेगा योजना मंे बड़ी तादाद मंे बेरोजगार प्रवासियांे को रोजगार मुहैया कराया गया।
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