शुक्रवार, 1 दिसंबर 2017

परंपरागत देशी बीजांे का वैज्ञानिक तरीके से होगा संरक्षण

बायोवर सिटी इंटरनेशनल के परियोजना निदेशक डा. जे.सी.राणा किसानांे से हुए रूबरू
                बाड़मेर, 01 दिसंबर। बायोवरसिटी इंटरनेशनल नई दिल्ली एवं ग्राविस उप केन्द्र बाड़मेर के सहयोग से मरूस्थली बाड़मेर, जैसलमेर एवं जोधपुर जिले मंे शुष्क खेती मंे नवाचार के साथ परंपरागत देशी बीजांे का वैज्ञानिक तरीके से संरक्षण किया जाएगा। इसका सर्वे प्रारंभ कर दिया गया है।

                बायोवरसिटी इंटरनेशनल नई दिल्ली के परियोजना निदेशक डा. जे.सी.राणा ने चौहटन तहसील के धीरासर एवं ढ़ोक गांव के किसानांे के साथ बैठक के दौरान बीज उत्पादन एवं संरक्षण परियोजना के बारे मंे विस्तार से जानकारी दी। इसके तहत वैज्ञानिक तरीके से बीज उत्पादन के लिए खरीफ एवं रबी फसल के बीजांे को चयनित किया जाएगा। यह कार्यक्रम करीब 6 हजार किसानांे की भागीदारी से किया जाना है। इस दौरान ग्राविस उप केन्द्र बाड़मेर के कार्यक्रम समन्वयक राजेन्द्र कुमार, केन्द्र व्यवस्थापक श्रीकांत भारद्वाज ने वर्तमान मंे स्थापित शुष्क जैविक फल इकाई, वर्षा जल संचयन टांका, नाडी, खड़ीन, चारागाह, थारपारकर नस्ल सुधार केन्द्र, कम्पोस्ट इकाइयांे एवं बेरियांे का अवलोकन करवाया। परियोजना निदेशक डा.जे.सी.राणा ने ग्राविस की ओर से किए गए कार्याें की सराहना की। उन्हांेने इस परियोजना के तहत जैविक खेती के लिए गोबर खाद,स्थानीय स्तर पर चारागाहांे के विकास पर विशेष बल देने की बात कही। उन्हांेने कहा कि यहां के चारागाह जैव विविधता से भरे हुए है, जिनमंे विभिन्न प्रकार के फल, सब्जियां एवं पशुआंे के लिए चारा उपलब्ध होता है। इसमंे विभिन्न प्रकार के जीव जन्तु रहते है। इस परंपरा को ओर अधिक विकसित करने की जरूरत है। इस दौरान धीरासर के गेनाराम, लक्ष्मण राम, सतीश कुमार, ढोक के भंवरसिंह, खेतसिंह, चेनाराम सुथार ने विचार व्यक्त किए। वीरातरा माता ट्रस्ट के ट्रस्टी कूंपसिंह एवं अध्यक्ष सगतसिंह ने भी देशी बीज उत्पादन एवं संरक्षण कार्यक्रम मंे पूर्ण सहयोग दिलाने का भरोसा दिलाया।



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