राजस्थान में पेट्रोलियम
उत्पादन के आठ साल, अब तक 87 हजार करोड़ का राजस्व हासिल
बाड़मेर, 28 अगस्त। आठ वर्ष पूर्व 29 अगस्त को राजस्थान मंें समृद्वि के संदेश के साथ बाड़मेर जिले मंे मंगला क्षेत्र
से काले सोने पेट्रोलियम का उत्पादन शुरू हुआ था। इस अंतराल में थार मरूस्थल में हो
रहे कच्चे तेल के उत्पादन ने देश की ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में बढते
हुए विकास की नई इबारत लिखी है।
बाडमेर जिले में स्थित देश के सबसे बडे तेल भंडार मंगला के साथ भाग्यम और ऐश्वर्या
आज लगभग पौने दो लाख बैरल तेल प्रतिदिन के उत्पादन के साथ देश के घरेलू तेल उत्पादन
मंे 27 प्रतिशत योगदान दे रहे है। वर्तमान में यह तेल दुनिया की सबसे लम्बी उष्मीय पाइपलाइन
के जरिए बाडमेर से गुजरात खरीददार कंपनियों तक पहुंच रहा है। यह तेल उत्पादन ना केवल
राजस्थान को हाइड्रोकार्बन सेक्टर में आगे बढने में मदद कर रहा है बल्कि देश के लिए
तेल आयात खर्च को भी कम कर रहा है। कच्चे तेल के उत्पादन ने 2009 में शून्य से शुरुआत
कर महज 8 साल में 41 करोड बैरल के कुल तेल उत्पादन का आंकडा पार कर लिया है। राजस्थान का यह तेल क्षेत्र
तेल उत्पादन के मामले में भारत में अग्र्रिम पंक्ति में है जबकि वर्ष 2009 पूर्व राजस्थान से
तेल उत्पादन आरम्भ ही नहीं हुआ था। इस उत्पादन के कारण केन्द्र एवं राज्य सरकार को
1340 करोड डालर भारतीय कीमत 87 हजार करोड़ रूपए से अधिक का राजस्व हासिल हो चुका है। थार मरूस्थल आज काले सोने
की धरती बन चुका है। सन् 2004 की शुरूआत में केयर्न ने बाड़मेर में एक बड़ा तेल क्षेत्र खोजा, जिसको मंगला तेल क्षेत्र
का नाम दिया गया। अब तक इस तेल क्षेत्र मंें भाग्यम्, ऐश्वर्या, सरस्वती एवं रागेश्वरी
सहित 38 तेल-गैस खोजें हो चुकी हैं।
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