तनुश्री ने कहा कि
आर्मी की तरह ये ऐसी फोर्स है जो 24 घंटे देश के बोर्डर को महफूज रखती है
बाड़मेर, 18 अगस्त। महिलाएं किसी भी क्षेत्र मंे कमजोर नहीं है। आज हर क्षेत्र मंे महिलाएं
अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहा है। शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो, जिसमंे महिलाआंे की
भूमिका नहीं हो। यह कहना है सीमा सुरक्षा बल की पहली महिला अधिकारी अस्टिटेंट कमाडेंट
सुश्री तनुश्री पारीक का। पारीक इन दिनांे पश्चिमी सीमा पर कैमल सफारी के जरिए बीएफएफ
एवं वायुसेना के महिला जवानांे के साथ नारी सशक्तिकरण एवं बेटी बचाओ, बेटी पढाओ का संदेश
देने मंे जुटी है।
राजस्थान के बीकानेर की रहने वाली तनुश्री की कई यादें बाड़मेर से जुड़ी हुई है।
उनके पिता करीब 27 साल पहले बाखासर क्षेत्र मंे पशु चिकित्सक के बतौर पदस्थापित थे। उस समय बेहद
विकट परिस्थितियां थी। बिजली,पानी एवं अन्य समस्याएं आम बात थी। तनुश्री बताती है कि उन्हें इस बात का बेहद
गर्व है जिस स्थान पर उनके पिता पद स्थापित रहे, उसी स्थान से कैमल सफारी के आगाज के साथ उन्हांेने ग्रामीणांे
को बेटियांे को बचाने एवं हर क्षेत्र मंे आगे बढने का अवसर देने का संदेश दिया। पंजाब
फ्रंटियर मंे पदस्थापित तनुश्री बीएसएफ की पहली महिला अधिकारी हैं। उनका चयन यूपीएससी
की ओर से वर्ष 2014 में आयोजित परीक्षा मंे हुआ था। इसके बाद उन्हांेने टेकनपुर स्थित सीमा सुरक्षा
बल अकादमी में आयोजित पासिंग आउट परेड में देश की पहली महिला अधिकारी (असिस्टेंट कमांडेंट)
के रूप में हिस्सा लिया और 67 अधिकारियों के दीक्षांत समारोह में परेड का नेतृत्व भी किया। इसके लिए उन्हें
सम्मानित किया गया। तनुश्री ने बीएसएफ अकादमी में अधिकारियों के 40वें बैच में बतौर सहायक
कमांटेंड 52 हफ्तों का प्रशिक्षण लिया था। इसके बाद उन्हें पंजाब में भारत-पाकिस्तान सीमा
पर तैनाती मिली। उनके मुताबिक बचपन से भी सेना में जाने की लगन थी। उन्होंने बीकानेर
में करीब से बीएसएफ के कामकाज के तरीके को देखा और उन्होंने नौकरी के लिए नहीं पैशन
के लिए बीएसएफ को चुना। साथ ही तनुश्री ने कहा,
“मेरा फोर्स में जाना तभी मायने रखेगा, जब दूसरी लड़कियां भी
फोर्स ज्वाइन करना शुरू करेंगी। उनके मुताबिक लड़कियां सूरज से बचने के लिए सनस्क्रीन
लगाना छोड़ें, धूप में तपकर खुद को साबित करें। उन्हें इस बात का बेहद गर्व है कि वे देश की पहली
महिला कॉम्बैट ऑफिसर है। तनुश्री स्कूल और कॉलेज के दौरान एनसीसी कैडेट रही। तनुश्री
आईएएस प्री और आरएएस प्री में सफलता हासिल कर चुकी हैं। तनुश्री बताती है कि जब बीकानेर
में बोर्डर फिल्म की शूटिंग हो रही थी और इस समय वह स्कूल जाने लगी थी। इसमें सेना
का अहम रोल था और इसी फिल्म से प्रेरणा लेकर उन्होंने बीएसएफ में जाकर देश की सेवा
करने का बनाया। उन्होंने बताया कि अक्सर उनके पापा शूटिंग के फोटो दिखाकर इन्स्पायर
करते। बस वहीं से ठान लिया था कि वर्दी वाली सर्विस में ही जाना है। बीकानेर में सीमा
सुरक्षा बल के कामकाज के तरीके को देखा। तब समझ में आया कि आर्मी की तरह ये ऐसी फोर्स
है जो 24 घंटे देश की बोर्डर को महफूज रखती है। वे बताती है कि वे सरहद पर हर प्रकार की
डयूटी को अंजाम देती है। मौजूदा समय मंे महिला जवान हर क्षेत्र मंे बेहतरीन प्रदर्शन
करते हुए यह साबित कर रही है कि वे किसी भी क्षेत्र मंे कमजोर नहीं है।
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