गुरुवार, 27 जनवरी 2022

साइबर अपराध के आर्थिक, सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक कारणो को समझना जरूरी - आईपीएस दीपक पारीक

 पॉलिटेक्निक महाविद्यालय मे हुआ डिजिटल सेफ्टी कार्यक्रम का समापन

बाड़मेर, 27 जनवरी। राजकीय पॉलिटेक्निक महाविद्यालय बाड़मेर में विगत सप्ताह भर से चलने वाले ऑनलाइन प्रोग्राम ‘‘डिजिटल सेफ्टी एंड वेलबिंगः टूल्स एंड टेक्निक्स‘‘ कार्यक्रम के छठे एवं अंतिम दिन सूचना सुरक्षा जागरूकता, डिजिटल डेटोक्सिंग आदि विषयों पर सेमिनार हुए।
अंतिम दिन के पहले सत्र मे पंजाब पुलिस के आईपीएस अधिकारी दीपक पारीक ने साइबर अपराध के दार्शनिक अवधारणा प्रस्तुत करते हुए उससे जुड़े आर्थिक, सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक पहलूओं पर चर्चा की और समझाया कि कोई व्यक्ति साइबर अपराध की दुनिया से कैसे जुड़ता है। इसके आर्थिक कारणों पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि दूसरे अपराधों की तुलना मे साइबर अपराध में मेहनत कम लाभ ज्यादा, पुलिस आदि तंत्र की ऐसे अपराधो के प्रति प्राथमिकता का कम होना, रिस्क कम होना आदि है। इसके सामाजिक कारणों जैसे रोजगार की कमी, कम आय एवं मजदूर व्यवसाय वालों की समाज का हीन दृष्टिकोण, कम समय मे कामयाब होने की लालसा, सुविधा संपन्न बनने का आकांशा है। साथ ही मनोवैज्ञानिक कारणों जैसे दूसरों की प्रतिष्ठा से जलन, निवेश के कम समय मे अत्यधिक लाभ का मोह और नैतिक पतन का उल्लेख कर समाधान के उपाए बताए।
दूसरे सत्र मे सीडेक हैदराबाद के सूचना सुरक्षा जागरूकता के प्रोजेक्ट निदेशक जगदीश एम बाबू ने डिजिटल डेटोक्सिंग विषय के संबंध मे कहा कि सूचना क्रांति के इस दौर मे मोबाइल ने लोगो का सामाजिक मिलन लगभग समाप्त कर दिया है और साइबर दुनिया हमारा बेशकीमती समय हमसे छीन कर मोबाइल के बगैर न रह पाने की नोफोबिया नाम की बीमारी से ग्रसित कर रहा है जिसका हमे पता भी नहीं चल रहा है अतः हर किसी को इससे व्यक्तिगत रूप से साइबर जागरूक होकर डिजिटल डिटोक्स होने की आवश्यकता है। इसके लिए उन्होने बहुत से टिप्स भी सुझाए। भारत सरकार के सीडेक हैदराबाद कि वैबसाइट पर साइबर शपथ लेने के लिए भी प्रेरित किया।
समापन के अंतिम सत्र मे आईएसटीई के राष्ट्रीय अध्यक्ष डां. पी एस देसाई ने प्रतिभागियों से तकनीक को आमजन तक पहुंचाने एवं प्रोद्योगिकी नवाचारो से जुडने की अपील की। एआईसीटीई नई दिल्ली के निदेशक एफडीसी कर्नल बी वैंकट ने पॉलिटेक्निक महाविद्यालय बाड़मेर द्वारा करवाए जा रहे इस कार्यक्रम की सरहाना करते हुये इसके सकारात्मक परिणामों पर चर्चा की। उन्होने एआईसीटीई नई दिल्ली द्वारा भविष्य मे इस तरह के कार्यक्रमों के आयोजन में पूर्ण सहयोग का भरोसा दिलाया। निदेशक तकनीकी शिक्षा राजस्थान पी सी मकवाना ने कार्यक्रम के विषय चयन एवं संयोजन की सराहना करते हुए विषय विशेषज्ञों के व्याख्यानों का आमजन पर पढ़ने वाले गहरे प्रभाव को इंगित किया।
संस्थान के प्राचार्य अंशु सहगल ने कार्यक्रम में प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से सहयोग करने वाले समस्त कार्मिकों एवं मीडिया जनों का हार्दिक आभार जताया। उन्होने बताया कि मीडिया द्वारा विगत सप्ताह भर से इस संवेदनशील मुद्दे को प्रकाशित करना सकारात्मक पत्रकारिता को दर्शाता है एवं बाड़मेर जिले में आगामी दिनों में ऐसे अनेकों कार्यक्रम महाविद्यालय द्वारा आमजन हितार्थ किए जाने का भरोसा जताया।
जन जन के लिए जानना जरूरी
साइबर फ्रौड का शिकार होते ही तुरंत हेल्पलाइन नंबर 155260 पर शिकायत दर्ज करना।
साइबर क्राइम डॉट जीओवी डॉट इन (www.cybercrime.gov.in) पोर्टल पर शिकायत दर्ज करना आदि।
आयोजन समिति का रहा सराहनीय योगदान
कार्यक्रम का सम्पूर्ण ऑनलाइन संचालन कोर्डिनेटर प्रशांत जोशी द्वारा कार्यक्रम की प्रतिदिन गतिविधियो का संकलन कर प्रमुख समाचार पत्रों मे प्रकाशन को कोर्डिनेटर रोशन लाल जैन द्वारा आई सपोर्ट एवं नियमित क्विज का आयोजन वासु देव द्वारा प्रतिभागियों की नियमित उपस्थिति का संकलन पुरुषोतम जांगिड़ द्वारा किया गया।
साइबर दुनिया से जुड़े ज्वलंत विषयों पर हुई चर्चा
कम्पुटर एवं मोबाइल सेफ्टी, क्रिप्टोग्राफी एवं हेशिंग, नेटवर्क सिक्योरिटी, साइबर कानून और वितीय सुरक्षा, ई-वेस्ट मेनेजमेंट, भारतीय डिजिटल इकोसिस्टम के सेफगार्ड, फेक जॉब एवं मेट्रीमोनियाल फ्रौड पोर्टल्स, परेंटल कंट्रोल, डिजिटल फोरेंसिक, ओपेन सोर्स सोफ्टवेयर, आईटी एक्ट, महिलाओं एवं बच्चो के विरुद्ध साइबर अपराध, साइबर अपराध के सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक पहलू, सूचना सुरक्षा जागरूकता, डिजिटल डेटोक्सिंग, आदि पर हुई विस्तृत चर्चा।
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