बुधवार, 26 मई 2021

घर-घर योजना के तहत उपलब्ध कराये जायेंगे औषधीय पौधे

 कोरोना से रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने को तुलसी, गिलोय, अश्वगंधा, कालमेघ को मिलेगा बढ़ावा

बाड़मेर, 26 मई। जिले में कोरोना से प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने को घर-घर मे तुलसी, गिलोय, अश्वगंधा, कालमेघ जैसे औषधीय पौधे लगाए जाएंगे। जिला कलक्टर लोक बन्धु ने योजना की क्रियान्वयन के लिए वन विभाग को पूरी तैयारी करने को कहा है।
    जिला कलक्टर लोक बंधु ने बताया कि माननीय मुख्यमंत्री द्वारा वर्ष 2021-22 के बजट भाषण में घोषणा की गई कि ‘‘ राजस्थान औषधीय पौधों की विविधता तथा गुणवता के लिए प्रसिद्ध है। इसको बढ़ावा देने के लिए घर-घर औषधि योजना शुरू की जाएगी। जिसके अन्तर्गत औषधीय पौधों की पौधशालाएं विकसित कर तुलसी, गिलोय, अश्वगंधा इत्यादि पौधे नर्सरी से उपलब्ध कराये जायेंगे।‘‘ उक्त घोषणा के अनुसरण में राज्य में औषधीय पौधों के संरक्षण एवं नागरिकों के स्वास्थ्य रक्षण हेतु घर घर औषधि योजना के अन्तर्गत औषधीय पौधों की पौधशालायें विकसित कर तुलसी, गिलोय, अश्वगंधा एवं कालमेघ के पौधे वन विभाग की पौधशालाओं में उपलब्ध कराये जाने संबंधी प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई है।
पर्यावरण मित्र
वर्तमान परिस्थितियों में जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण एवं जीवन शैली में परिवर्तन जैसे कारणों से स्थानीय लोग अनेक प्रकार के रोगों से ग्रस्त होते रहते है। आयुर्वेद तथा स्थानीय परम्परागत ज्ञान एवं वनों में उपलब्ध औषधियों को लोगों के घरों, खेतो और निजी जमीनों के समीप उगाने हेतु सहायता करने से राज्य के निवासियों के स्वास्थ्य में सुधार करना इस योजना का मुख्य ध्येय है। इस योजना से राजस्थान में पाई जाने वाली वनोषधियों एवं औषधीय पौधों का संरक्षण भी होगा।
जिला कलक्टर लोक बन्धु ने उप वन संरक्षक बाड़मेर को योजना की क्रियान्विति के संबंध में प्रमुख शासन सचिव वन एवं पर्यावरण द्वारा जारी दिशा निर्देशों की अक्षरशः पालना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए है।
योजना के उदे्श्य
राज्य में औषधीय पौधों को उगाने के इच्छुक परिवारों को स्वास्थ्य रक्षण हेतु बहु उपयोगी औषधीय पौधे वन विभाग की पौधशालाओं में उपलब्ध कराया जाना, मानव स्वास्थ्य रक्षण और व्याधिक्षमत्व बढ़ाने तथा चिकित्सा हेतु बहु उपयोगी औषधीय पौधों की उपयोगिता के बारे में व्यापक प्रचार प्रसार करते हुए जन चेतना का विस्तार करना, औषधीय पौधों के प्राथमिक उपयोग तथा संरक्षण संवर्धन हेतु आयुर्वेद एवं भारतीय चिकित्सा विभाग के सहयोग से प्रमाण आधारित जानकारी उपलब्ध कराना तथा जिला प्रशासन एवं वन विभाग के नेतृत्व में जन प्रतिनिधियों, पंचायतीराज संस्थाओं, विभिन्न राजकीय विभागों तथा संस्थानों, विद्यालयों और औद्योगिक घरानों इत्यादि का सहयोग लेकर जन अभियान के रूप में क्रियान्वित करना है।
योजना का क्रियान्वयन
योजना के क्रियान्वचन हेतु वन विभाग नोडल विभाग होगा। योजना को एक जन अभियान के रूप में संचालित किया जाएगा। योजना के क्रियान्वयन हेतु जिला कलक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय टास्क फोर्स का गठन कर जिला प्रशासन के नेतृत्व में जन प्रतिनिधियों, पंचायतीराज संस्थाओं, विभिन्न राजकीय विभागों एवं संस्थानों, विद्यालयों और औद्योगिक घरानों इत्यादि का सहयोग लेकर वृहद स्तर पर अभियान चलाया जायेगा। उप वन संरक्षक जिला स्तरीय टास्क फोर्स के सदस्य सचिव होंगे। जिले में योजना का क्रियान्वयन जिला स्तरीय कार्य योजना बनायी जाकर किया जाएगा। कार्य योजना में वितरण स्थलों का चिन्हीकरण, वितरण व्यवस्था, विभिन्न विभागों से सहयोग प्राप्त करने की व्यवस्था, प्रचार प्रसार की रणनीति, वितरण एवं प्रचार प्रसार हेतु अतिरिक्त वितीय संसाधनों की व्यवस्था इतयादि विषय सम्मिलित होंगे।
योजना की अवधि
यह योजना 5 वर्षो (वर्ष 2021-22 से 2025-26) के लिये लागू की जाएगी।
योजना का लक्ष्य
पांच वर्षो में राज्य के लगभग 1 करोड़ 26 लाख परिवारों को इस योजना के तहत लाभान्वित किया जाएगा। वर्ष 2021-22 में उप वन संरक्षक बाड़मेर द्वारा 450624 परिवारों को लाभान्वित करने के लिए 1982746 पौधे तैयार किये जायेंगे। प्रत्येक परिवार को चार प्रकार की औषधीय प्रजातियों तुलसी, गिलाय, अश्वगंधा एवं कालमेघ के दो दो पौधे अर्थात् कुल 8 पौधे थैलियों में इस वर्ष सहित कुल पांच वर्षो में तीन बार वन विभाग की पौधशालाओं से निःशुल्क उपलब्ध कराये जायेंगे।
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