मंगलवार, 23 फ़रवरी 2021

कृषि निर्यात नीति के क्रियान्वयन हेतु क्लस्टर कमेटी की कार्यशाला आयोजित

 बाड़मेर, 23 फरवरी। कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिये एपीडा भारत सरकार द्वारा घोषित कृषि निर्यात नीति के क्रियान्वयन हेतु प्रशासनिक सुधार विभाग द्वारा गठित क्लस्टर कमेटी की बैठक एपीडा भारत सरकार सहायक प्रबन्धक मानप्रकाश विजय की अध्यक्षता में आत्मा सभागार भवन कृषि विभाग में आयोजित हुई। बैठक में एपीडा भारत सरकार से प्राप्त क्लस्टर जिसमें बाड़मेर, जैसलमेर व जालोर जिले में कृषि निर्यात के तहत चयनित दो फसलों जीरा एवं ईसबगोल तथा बाड़मेर जिले के लिए चयनित फसल अनार के सम्बन्ध में विचार-विमर्श किया गया।

कार्यशाला में राजस्थान राज्य कृषि विपणन बोर्ड प्रशासक ताराचन्द मीणा ने अवगत कराया कि राज्य सरकार की योजना राजस्थान कृषि प्रसंस्करण, कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात प्रोत्साहन योजना के तहत कृषक अथवा उनके समुहों को कृषि आधारित उद्योग लगाने पर 50 प्रतिशत का अनुदान अधिकतम 1 करोड़ रूपये की सीमा तक तथा व्यापारी को 25 प्रतिशत का अनुदान अधिकतम 50 लाख रूपये की सीमा तक देय है। उन्होने बताया कि उक्त योजना के तहत 5 प्रतिशत ब्याज का एवं 1 रूपये प्रति इकाई विद्युत व्यय का अनुदान देय है। इसके अतिरिक्त नाबार्ड द्वारा कृषि अवसंरचना कोष के तहत आधारभुत सुविधा विकसित करने पर तीन प्रतिशत ब्याज की छूट का प्रावधान है। उन्होंने उपस्थित प्रगतिशील कृषकों, कृषक उत्पादन संगठनो, निर्यातकों एवं प्रतिनिधी व्यापार मण्डल को उक्त योजना के तहत कृषि प्रसंस्करण सम्बन्धी उद्योग लगाने के लिए उक्त योजना का लाभ लेने हेतु प्रेरित किया।
इस दौरान मीणा ने प्रधानमंत्री सुक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना पीएमएफएमई की जानकारी दी। उन्होंने अवगत कराया कि वर्तमान में कार्यरत एवं उद्योग विभाग में उद्यम के रूप में पंजीकृत समस्त सुक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों के विस्तार एवं उन्नयन पर परियोजना लागत का 35 प्रतिशत अधिकतम 10 लाख रूपयें तक का अनुदान देय है। साथ ही सुक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों का एक जिला एक उत्पाद नीति के अन्तर्गत बाड़मेर जिले के लिए चयनित फसल अनार के नवीन उद्योग लगाने पर उक्तानुसार सब्सिडी देय है।
बैठक में उक्त फसलों के भण्डारण प्रसंस्करण को बढ़ावा देने, विपणन एवं निर्यात हेतु सुविधाएं विकसित करने, निर्यात योग्य गुणवत्ता युक्त उत्पाद हेतु उच्च श्रेणी के बीजो की उपलब्धता, कृषक उत्पाद संगठनों को इस प्रक्रिया से जोड़ने, जैविक उत्पादों को बढ़ावा देने एवं प्रमाणीकरण तथा उक्त फसलों के अनुसंधान पर विचार-विमर्श किया गया। साथ ही फसलों के उत्पादन में कीटनाशी दवाईयों एवं रसायनिक खाद का उपयोग न्यूनतम एवं आवश्यकतानुसार एवं कृषि विभाग के अधिकारियों के निर्देशानुसार उपयोग करने एवं उच्च गुणवतायुक्त उत्पादन में आ रही समस्याओं ो निराकरण करने हेतु उपस्थित अधिकारियों को निर्देश दिए। बैठक में निदेशक फसलोत्तर प्रबंधन विपणन बोर्ड, जयपुर एम.एल. गुप्ता द्वारा उक्त फसलो के निर्यात की प्रक्रिया एवं जैविक उत्पादन करने तथा उच्च गुणवता की लैब के विकास हेतु अनुदान आदि के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। कार्यशाला में उप निदेशक उद्यान विभाग किशोरीलाल वर्मा, जिला उद्योग केन्द्र के महाप्रबन्धक सांगाराम देवासी, वीरचन्द वडेरा, हंसराज कोटडिया, किसान भाई, आई.टी.सी., नेड- स्पाईसेज, ओलाम, एवीटी, वेल्यु इनग्रेडियंट आदि के प्रतिनिधी, एफपीओं प्रतिनिधि ने भाग लिया। कृषि उपज मण्डी सचिव सुरेश कुमार मंगल ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन प्रदीप पगारिया ने किया ।
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