बुधवार, 4 मार्च 2020

निवेश प्रोत्साहन योजना का उद्देश्य स्थानीय बेरोजगारों को अधिक रोजगार मिलें

बाड़मेर, 4 मार्च। उद्योग मंत्री परसादी लाल मीना ने बुधवार को विधानसभा में कहा कि युवाओं को रोजगार देने एवं प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना-2019 लाई गई है और राज्य सरकार की मंशा है कि निजी कंपनियों में स्थानीय बेरोजगारों को अधिक से अधिक रोजगार मिले।
मीना ने कहा कि योजना के तहत श्रमिकों के ईपीएफध्ईएसआई के नियोक्ता के अशंदान का 50 प्रतिशत पुनर्भरण सात वर्षों के लिए किए जाने का प्रावधान किया गया है। साथ ही यदि उद्यम में कार्यरत समस्त श्रमिकों में से 75 प्रतिशत या अधिक स्थानीय व्यक्ति होंगे तो पुनर्भरण 75 प्रतिशत तक देय होगा। उन्होंने बताया कि राज्य में 17 दिसम्बर, 2019 को शुरू की गई प्रोत्साहन रोजगार योजना का उद्देश्य भी अधिक से अधिक स्थानीय लोगों को रोजगार देना है।
उन्होंने कहा कि स्थानीय व्यक्तियों को उद्योगों में रोजगार देने के लिए उद्योगपतियों को बाधित करने के लिए राज्य में ऐसा कोई कानून नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा है कि उद्योगों में स्थानीय लोगों को अधिक से अधिक रोजगार मिलें। इसके लिए उद्योगपतियों और उद्योग संघों की बैठकर बुलाकर शीघ्र बातचीत की जाएगी। यद्यपि वर्तमान में राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना-2019 में स्थानीय व्यक्तियों को उद्योगों में रोजगार दिए जाने के नियम प्रावधित नहीं है। तथापि नये स्थापित होने वाले पात्र उद्योगों को योजनान्तर्गत रोजगार को बढ़ावा दिए जाने के संबंध में क्लॉज 4.1(पप) के अन्तर्गत श्रमिकों के ईपीएफ/ईएसआई के नियोक्ता के अशंदान का 50 प्रतिशत पुनर्भरण सात वर्षों के लिए किए जाने का प्रावधान अंकित है जबकि यदि उद्यम में कार्यरत  समस्त श्रमिकों में से 75 प्रतिशत या अधिक राजस्थान राज्य के डोमिसाईल्ड व्यक्ति हैं तो पुनर्भरण 75 प्रतिशत तक देय है।
उन्होंने बताया कि अन्य राज्यों द्वारा उद्योगों में 75 प्रतिशत रोजगार स्थानीय लोगों को दिये जाने की अधिकारिक सूचना उपलब्ध नहीं है। राजस्थान में 75 प्रतिशत स्थानीय लोगों को रोजगार दिये जाने संबंधी कोई योजना अभी विचाराधीन व प्रक्रिया में नहीं हैं। उन्होंने बताया कि राज्य में उद्योगों द्वारा कुशल-अकुशल श्रमिकों की आवश्यकतानुसार, स्थानीय युवाओं में आवश्यक कौशल की उपलब्धता तथा स्थानीय लोगों के रूझान के आधार पर रोजगार उपलब्ध करवाया जाता है।  राज्य में कौशल नियोजन एवं उद्यमिता विभाग द्वारा राज्य के स्थानीय लोगों को उद्योगों की मांग के आधार पर कौशल प्रशिक्षण देकर रोजगार हेतु सक्षम बनाया जाता है। स्थानीय स्तर पर रोजगार हेतु उपयुक्त व उद्योगों की आवश्यकतानुसार श्रमिक उपलब्ध होने पर वे स्वतः ही उद्योगों में रोजगार प्राप्त करने हेतु पात्र हो जाते हैं।
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