सोमवार, 5 अगस्त 2019

गोचर भूमि मंे माइनिंग की शिकायत पर होगी कठोर कार्यवाहीः चौधरी

बाड़मेर,05 अगस्त। गोचर भूमि पर किसी प्रकार का माइनिंग कार्य नहीं किया जा सकता। यदि गोचर भूमि में माइनिंग की शिकायत प्राप्त होने पर संबंधित अधिकारी या कर्मचारी के विरूद्ध कार्यवाही की जाएगी। राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने सोमवार को विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान विधायकों की ओर से पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब देतेे हुए यह बात कही।
राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने बताया कि प्रदेश में 13 दिसम्बर 2011 को जारी एक परिपत्र के अनुसार गोचर भूमि पर किसी भी प्रकार का माइनिंग कार्य नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि यदि कहीं पर भी गोचर भूमि पर माइनिंग कार्य में किसी भी अधिकारी एवं कर्मचारी की ओर से किसी भी स्तर पर किसी भी प्रकार का सहयोग किया गया है,तो सख्त से सख्त कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने यह भी आश्वस्त किया कि राज्य में कहीं पर भी किसी बड़े भू-माफिया के विरूद्ध गोचर भूमि पर अतिक्रमण की शिकायत प्राप्त होती है तो जांच कराई जाएगी तथा जांच में दोषी पाये जाने पर अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही करने के साथ ही उसके विरूद्ध निश्चित रुप से की जाएगी। उन्होंने बताया कि राज्य में कई स्थानों पर गरीब लोगों की ओर से मजबूरी में अथवा अज्ञानता में कहीं पर भी छोटे स्तर पर अतिक्रमण किया हुआ है उसका परीक्षण किया जाएगा तथा इस संबंध में नीति बनाई जाएगी। उन्होंने राज्य में गोचर भूमि के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए गोचर भूमि विकास बोर्ड का गठन करने के संबंध में आश्वस्त किया कि राज्य सरकार के स्तर पर प्राप्त सुझावों पर फैसला कर शीघ्र निर्णय लिया जाएगा। इससे पहले विधायक डॉ. राजकुमार शर्मा के मूल प्रश्न के जवाब में चौधरी ने बताया कि राजस्थान काश्तकारी सरकारी नियम 1955 के नियम 6 के तहत प्रति पशु 1/2 बीघा भूमि गोचर रखे जाने के प्रावधान है। उन्होंने राज्य के जिलों में स्थित चारागाह भूमि का जिलेवार विवरण सदन के पटल पर रखा। उन्होंने बताया कि राजस्थान काश्तकारी नियम 1955 लागू होने के समय चारागाह भूमि का प्रदेश में 1297886.26 हेक्टेयर क्षेत्रफल से बढ़कर 1 जुलाई, 2017 तक 1422013.32 हेक्टेयर क्षेत्रफल हुआ है। इस तरह से चारागाह के क्षेत्रफल में वृद्धि हुई है। राजस्व मंत्री  चौधरी ने बताया कि चारागाह भूमि पर अतिक्रमियों के विरूद्ध राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 91 के तहत कार्यवाही की जाती है। इस संबंध में समय-समय पर निर्देश जारी किए गए है जिनमें परिपत्र 11 सितम्बर, 2017 एवं परिपत्र 20 मई, 2019 सम्मिलित है।  

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