बाड़मेर, 27 जुलाई। राज्य सरकार ने एक परिपत्र जारी कर स्पष्ट किया है कि 30 जून, 2017 तक पूर्ण हुए कार्य
जिनका बिल भी प्रस्तुत कर दिया गया है, उनके भुगतान पर टीडीएस की कटौती राजस्थान वैट एक्ट, 2003 के नियमानुसार ही
होगी। ऐसे भुगतान पर जीएसटी की दरें लागू नहीं होंगी।
वाणिज्यिक कर आयुक्त आलोेक गुप्ता ने बताया कि 30 जून, 2017 से पहले राज्य में राजस्थान वैट अधिनियम,
2003 लागू था, जिसके अनुसार 30 जून, 2017 तक पूरे किए गए संविदा कार्यों के बिलों के भुगतान के लिए टीडीएस कटौती की व्यवस्था
थी। अब वैट अधिनियम के स्थान पर एक जुलाई,
2017 से राजस्थान माल एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 प्रभावी हो गया है, लेकिन 30 जून, 2017 से पहले पूरे हो चुके
संविदा कार्यों के विषय में राजस्थान वैट अधिनियम के नियम ही प्रभावी रहेंगे। गुप्ता
ने स्पष्ट किया कि वैट नियम, 2006 के नियम 40 के उप नियम 6 के अनुसार संविदा कार्य करने वाली फर्म को भुगतान करते समय कर के रूप में टीडीएस
की कटौती आवश्यक थी। 30 जून, 2017 तक पूरे हो चुके ऐसे सभी संविदा कार्य जिनके बिल प्रस्तुत कर दिए गए हैं, उनका भुगतान यदि एक
जुलाई, 2017 के बाद किया जाना है तो उसमें आर-वैट एक्ट की दरों के अनुसार ही टीडीएस की कटौती
की जाएगी। ऐसे सभी संविदा कार्य जो एक जुलाई,
2017 के बाद पूरे हुए हैं या होंगे, वे राजस्थान जीएसटी
एक्ट, 2017 के दायरे में आएंगे। वाणिज्यिक कर आयुक्त ने बताया कि एक जुलाई, 2017 के बाद पूरे होने
वाले संविदा कार्यों के लिए भुगतान करते समय ऐसे कर योग्य भुगतान पर, जिसमें अनुबंध की कुल
लागत 2.50 लाख रूपए से अधिक है, एक प्रतिशत राज्य जीएसटी तथा एक प्रतिशत केंद्रीय जीएसटी की दरों पर कटौती की जाएगी।
साथ ही उन्होंने बताया कि जीएसटी अधिनियम के अंतर्गत टीडीएस कटौती के प्रावधान अभी
प्रक्रियाधीन हैं। इस विषय में नए प्रावधान अधिसूचित होने पर लागू होंगे।
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