शुक्रवार, 11 अगस्त 2017

अंबिकापुर मॉडल बदल सकता है बाड़मेर की तस्वीर

                बाड़मेर, 11 अगस्त। अंबिकापुर का कचरा प्रबंधन मॉडल आज पूरे देश में चर्चा में है। जबकि आज बाड़मेर एवं बालोतरा शहर से निकलता सॉलिड वेस्ट का प्रबंधन बड़ी चुनौती बना हुआ है। घरों एवं दुकानों से निकलते कचरे को उठाने के लिए यदि छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर का मॉडल अपना लिया जाए तो हमारा शहर भी साफ एवं सुंदर हो सकता है। इसके मददेनजर बाड़मेर जिला प्रशासन नवीन पहल करने मंे जुटा है। हालांकि इसमंे शहरवासियों की जागरुकता एवं सहभागिता जरूरी है।
                सॉलिड एंड लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम से अंबिकापुर निगम में सफाई के साथ कमाई भी हो रही है। स्वच्छ भारत मिशन में मैसूर के बाद अब देश में अंबिकापुर नगर निगम के सॉलिड एंड लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट की चर्चा हैं। छत्तीसगढ़ में बीते साल शहरों में साफ-सफाई के लिए डोर टू डोर कचरा कलेक्शन जैसी योजना शुरू की गई और इसके लिए नगरीय प्रशासन विभाग ने बैटरी चलित रिक्शा पर करोड़ों रुपए खर्च किए, लेकिन अंबिकापुर निगम ने अलग मिसाल पेश की और शहर से रोज निकलने वाली गंदगी एवं कचरे के निपटारे के लिए लिए बीड़ा उठाया। तत्कालीन कलेक्टर ऋतु सेन ने इसके लिए आमिर खान के धारावाहिक सत्यमेव जयते से चर्चा में आए सी. श्रीनिवासन सहयोग लिया और अंबिकापुर के 48 वार्डों से निकलने वाले कूड़े-कचरे के लिए सॉलिड एंड लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम शुरू हुआ।
स्वच्छता, जल संरक्षण और हरियाली का संदेश : अंबिकापुर में जिस स्थान पर कंचरा डंप किया जा रहा था, वहां अब सेनेटरी पार्क के जरिए स्वच्छता, जल संरक्षण और पर्यावरण को हरा-भरा रखने का संदेश दिया गया है। इसमें अपशिष्ट पदार्थों को अलग किया जा रहा है। वेस्ट रिसोर्सेस के टर्सरी सेग्रिगेशन से कई वस्तुएं रिसाइक्लिंग कर उपयोगी बनाई जाती है। मेडिकल वेस्ट को नष्ट करने के लिए श्रेडर मशीन लगाई गई है। इसके अलावा अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण बायो गैस तैयार कर रहा है। रूफ वाटर हार्वेस्टिंग एवं वर्षा जल संचयन मॉडल का भी निर्माण किया गया है।

ऐसे काम करता है अंबिकापुर मॉडल : महिलाओं का समूह वार्डों से रोजाना निकलने वाले कचरे को अलग-अलग एकत्र करता है। इसके लिए लोगों के घरों में जाकर हर सुबह रिक्शा से कचरा लाया जाता है, उसके बाद सूखे और गीले कचरे की छटाई की जाती है। कूड़े के ढेर से कबाड़ एवं ठोस कचरों की बिक्री की जाती है और गीले कचरे से जैविक खाद तथा गैस बनाकर सप्लाई की जाती है। अंबिकापुर मंे वार्डों में ही एसएलआरएम सेंटर में एकत्र कर इसकी ग्रेडिंग की जाती है। यहां लोगों से गीला एवं सूखा कचरा अलग- अलग लिया जाता है। रिक्शा में दो बाक्स बने होते है। उसके बाद एसएलआरएम सेंटर में डिलीवरी की जाती है। अंबिकापुर मंे महिला समूहों को प्रशिक्षण देकर कचरे की परिभाषा बताई गई और इसके निपटारे के लिए ग्रेडिंग का तरीका भी विस्तार से सिखाया गया।

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